इस फूल की खेती आपको एक सीजन मे बना देगी मालामाल, लाखो रुपये एकड होगी कमाई
नई दिल्ली :- अपने इलाके में 2 एकड़ में फूल की खेती कर रहे हैं. उमेश मालाकार ने 1998 में प्रयोग के तौर 5 कट्ठे से इस फूल की खेती की शुरुआत की थी. इस प्रयोग ने उनकी जिदंगी को पूरी तरह से बदल दिया और आज अपने जिला में एक प्रगतिशील किसान के तौर जाने जा रहे हैं.
गेंदा फूल की खेती ने उन्हें अपने जिले में ही नहीं, बल्कि राज्य स्तरीय पहचान दिलाई है. जहां कहीं भी राज्य स्तरीय कार्यक्रम होता है, वे जरूर भाग लेते हैं. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री के हाथों भी अच्छे कार्य के सम्मान प्राप्त कर चुके हैं. उनकी एक साहसिक कदम ने कई किसानों को इस फूल की खेती को प्रयोग के तौर पर शुरू करने पर मजबूर किया. आज उनके यहां बड़े पैमाने पर गेंदे फूल की खेती की जा रही है, जिससे ग्रामीणों की जिंदगी में बड़ा परिवर्तन आया है. लोग इस खेती को कमाई के दृष्टिकोण से देखना शुरू कर दिया है, क्योंकि अच्छी बात यह है कि कम समय में ज्यादा आमदनी देने वाली खेती है.
उमेश मालाकार ने लोकल 18 को बताया कि बात 1998 की है, जब कोलकाता गए हुए थे. उस वक्त वहां फूल की खेती किसानों को करते देखा. इसके बाद वहीं से आइडिया लेकर आए और 5 कट्ठे से इसकी शुरुआत कर दी. हालांकि, जहानाबाद की धरती आम तौर धान और गेहूं की खेती के लिए जानी जाती है, ऐसे में जब यह शुरू किया तो कुछ लोग पागल तक कहते थे और ताना तक मारते थे. लेकिन, मन में यह आत्मविश्वास था और मेहनत करना नहीं छोड़ा.
आज ऐसा है कि हमारी गिनती जिले में फूलों की खेती करने वाले अग्रणी किसानों में की जाती है. हमारे साथ कुछ किसान भी जुड़े हुए हैं, जो गेंदा फूल की खेती कर रहे हैं और वो खुशहाल जीवन गुजर बसर कर रहे हैं.उमेश प्रसाद मालाकार महाबलीपुर में 2 एकड़ में गेंदे की फूल की खेती कर रहे हैं. सालो भर फूल ही उपजाते हैं. इसके साथ साथ-धान गेहूं और अन्य फसलों की खेती करते हैं. गेंदा फूल की खेती कम समय में अच्छा मुनाफा दे सकता है.
यह सब कुछ मार्केट के ऊपर निर्भर करता है. अगर मार्केट में सही कीमत मिल गई तो मुनाफा दोगुना भी हो सकता है, अन्यथा इस तरह की खेती में बराबर भी फायदा हो सकता है. गेंदा फूल की खेती अगर आप एक एकड़ में कर रहे हैं तो आपको करीब 40 से 50 हजार रुपए तक खर्च आ सकता है. वहीं, आमदनी के हिसाब से देखें तो वह एक लाख तक भी एक एकड़ में हो सकता है. इस खेती को बढ़ावा देने के लिए 70 प्रतिशत तक अनुदान भी मिलता है, जो किसानों को बड़ी राहत दे सकता है