Faridabad News: पत्नी के गहने गिरवी रख प्रैक्टिस के लिए जुटाए पैसे, अब फरीदाबाद के लाल को मिला अर्जुन अवार्ड
फरीदाबाद, Faridabad News :- आज हम हरियाणा के फरीदाबाद जिले के निवासी सिंघराज अधाना की अनकही दास्तां सुनाने वाले हैं. बता दे की बचपन में ही उन्होंने पोलियो की वजह से अपने दोनों पैर गवा दिए थे. घर की आर्थिक स्थिति भी कुछ खास नहीं थी, परंतु उनके बेटे और भतीजे शूटिंग और स्विमिंग सीखने चले गए. इन्हीं के साथ सिंहराज भी कभी-कभी साथ चले जाते थे. वहां पर बेटे के शूटिंग कोच ने सिंहराज के निशानेबाजी देखी और वह उनसे काफी इंप्रेस हुए, साथ ही उन्हें पैराशूट बनने की सलाह दी.
आज हर जगह हो रहे हैं हरियाणा के इस लाल के चर्चे
सिंहराज ने बताया कि वह पहले अपनी पत्नी से काफी ज्यादा प्रभावित था. साल 2017 में इन्होंने पैराशूट बनने का सफर तय किया और शूटिंग की शुरुआत करते ही इन्हें सफलता मिलने भी शुरू हो गई. साल 2017 में उन्होंने केरल तिरुवनंतपुरम में राष्ट्रीय पैराशूट के तौर पर प्रतिभा की. इसके बाद उन्हें यूएई यानी कि संयुक्त अरब अमीरात में पहली बार प्रदर्शन करने का मौका मिला. इस दौरान उन्हें उम्मीद थी कि वह आसानी से पदक जीत लेंगे. लेकिन वह आसपास ही रहे, इस पर जेपी नौटियाल उनके पास आए और बोले कि आप भी औरों की तरह विदेश में केवल खाना खाने के लिए आए हैं. उस दौरान यह बात सिंहराज के दिल पर लग गई और उन्होंने अपने कोच के साथ दिन रात मेहनत करना शुरू कर दी. इसी बात ने उनकी पूरी जिंदगी बदल के रख दी.
काफी मुश्किलों भरा रहा सफलता का सफर
सिंहराज ने आगे बताया कि मेडल जीतने के लिए ज्यादा प्रैक्टिस की आवश्यकता होती है, परंतु उनके पास इसके लिए पैसों की काफी कमी थी. उन्होंने एक स्कूल में पार्ट टाइम गार्ड की नौकरी भी की और इन पैसों से अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने बेहतर कोच की तलाश की, ऐसे में ही उनकी मुलाकात ओम प्रकाश चौधरी से हुई. जिन्होंने करणी सिंह शूटिंग रेंज में उन्हें प्रैक्टिस करवाना शुरू कर दिया. वहां पर प्रैक्टिस के 6 महीना के अंदर ही उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई कर दिया.
पत्नी ने हर कदम पर दिया साथ
इस दौरान भी उनकी परेशानियां समाप्त नहीं हुई, बड़े शूटिंग रेंज में प्रेक्टिस करने का खर्च काफी ज्यादा था. यहां पर एक महीने प्रेक्टिस करने का कुल खर्च डेढ़ लाख रुपए के करीब आता था, जिस वजह से सिंहराज को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा कि आगे पर कैसे अपनी प्रेक्टिस को जारी रख पाएंगे. उन्होंने बताया कि इस दौरान उनकी पत्नी ने उनका साथ दिया और अपने गहने गिरवी रख दिए और करीब ढाई लाख रुपए की व्यवस्था की. उन्होंने भी शूटिंग रेंज में मदद के लिए जाना शुरू कर दिया. जिससे उन्हें अलग से कोई हेल्पर ना लेना पड़े और खर्च भी बच सके.पैरालंपिक में उनकी सफलता के बाद हरियाणा सरकार की तरफ से उन्हें चार करोड़ रुपये इनाम देने की घोषणा की. सरकार की तरफ से उन्हें अर्जुन अवार्ड से भी नवाजा गया.