Fatehabad News: फतेहाबाद की बेटियों ने किया कमाल, 12 हजार फुट की ऊँचाई पर 21 बेटियों ने टीम ने किया योग
फतेहाबाद :- आज के आधुनिक युग में बेटियां प्रत्येक क्षेत्र में हिस्सा ले रही हैं. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां बेटियां कार्यरत ना हो या जहां बेटियों की हिस्सेदारी ना हो. फतेहाबाद की Everest विजेता बेटी मनीषा पायल ने विश्व योग दिवस के अवसर पर कुछ अलग तरीके से योग दिवस मनाया. उत्तराखंड में 12500 फुट की ऊंचाई पर स्थित केदारकंठा ट्रैक को 20 प्रतिभाशाली पर्वतारोही बेटियों के संग मनीषा ने 12500 फुट की ऊंचाई को फतेह किया.
15 June को किया रवाना
इस दौरान मनीषा पायल ने केदारकंठा की पहाड़ी पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के साथ- साथ फतेहाबाद की सामाजिक संस्था जिंदगी का ध्वज भी फहराया. गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरसी राम विश्नोई ने हिसार मंडल की 21 बेटियों के समूह को 15 June 2023 को केदारकंठा के लिए रवाना किया था. इस समूह का नेतृत्व हरियाणा के फतेहाबाद की एकमात्र महिला Everest विजेता मनीषा पायल ने किया. हरियाणा की बेटी के इस कार्य की चारों तरफ सराहना की जा रही है.
केदारकंठा में अलग अंदाज़ में मनाया विश्व योग दिवस
Monday को मनीषा पायल के नेतृत्व में लड़कियों का समूह 12500 फुट की ऊंचाई पर 10:00 बजे केदारकंठा पहुंचा और मनीषा पायल के नेतृत्व में विश्व योगा दिवस के अवसर पर केदारकंठा में विश्व योगा दिवस मनाया. पर्वतारोहियों के इस समूह में डॉक्टर से लेकर विभिन्न विषयों की शिक्षा प्राप्त कर रही बेटियां शामिल थी. जिसमें मुख्य रुप से डॉ कालिंदी, डॉ रितु, विनीता, नेहा, पिंकी, मोनिका, डॉ. मीनाक्षी भाटिया मुख्य रूप से उपस्थित रही. एडवेंचर कलब के निदेशक प्रो राजीव कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि बेटियों का एक समूह Monday को उत्तराखंड के केदारकंठा पहुंचा और वहां पर विश्व योग दिवस मनाया. इस दौरान अलग- अलग फील्ड की बेटियां इस Program में शामिल हुई.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए पेड़ पौधे होना अनिवार्य
मनीषा पायल ने जानकारी देते हुए बताया कि पर्यावरण एवं प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक केदारकंठा जैसी जगह पर योग दिवस मनाना बेटियों के लिए अविस्मरणीय पल था. इसके बाद उन्होंने कहा कि प्रकृति हमारे जीवन का अहम हिस्सा है, स्वस्थ जीवन के लिए पेड़ पौधों का होना भी बेहद जरूरी है. यही नहीं जीवन को स्वस्थ बनाए रखने के लिए पेड़- पौधो के साथ- साथ योगा करना भी बेहद जरूरी होता है. प्राचीन समय में बड़े- बड़े योगी तपस्वी पहाड़ों पर वनों में बैठकर तपस्या करते थे.