Fatehabad News: हरियाणा के फतेहाबाद में दिखे दुर्लभ प्रजाति के कछुए, आप भी पहली नजर में हो जाएंगे दीवाने
फतेहाबाद, Fatehabad News :- गांव काजलहेड़ी गुरू गोरखनाथ सामुदायिक संरक्षित क्षेत्र में भारतीय सॉफ्टशेल टर्टलस की दुर्लभ प्रजाति के कछुओं का संरक्षण किया जाता है। मंगलवार को गांव के शिव मंदिर के पास स्थित इस तालाब में 30 से अधिक दुर्लभ कछुए देखे गए। जीव रक्षा बिश्नोई सभा से जुड़े पर्यावरणविद् भी इन कछुओं को देखकर हैरान हैं। रेड रूफड टर्टल प्रजाति के यह कछुए सिर्फ चोंच, या मुंह का आगे का सिरा निकालते हैं। रेड रूफड टर्टल प्रजाति के एक कछुए को युवा पर्यावरणविद और वन्यजीव संरक्षक विनोद कड़वासरा ने इस क्षेत्र का दौरा करते हुए देखा।
तालाबों में नहीं होता मछली पालन
यह बताया जाता है कि जिला काजल हेड़ी में गांव के पूर्वी कौने में एक तालाब है, जिसमें बहुत से कछुए हैं। पीपुल्स फॉर एनीमल संस्था ने बताया कि 2008 में देखे गए यह कछुए गांववासी दशकों से बचाए हुए थे। इसका मुख्य कारण यह है कि बिश्नोई लोगों को अपने गांवों के तालाबों में मछली पालन नहीं करने दिया जाता है, क्योंकि इससे जलीय जीव जंतु बच रहे हैं। बाद में पता चला कि ये कछुआ इंडियन सॉफ्टशेल टर्टलस प्रजाति का है। ये ताजा पानी के कछुए हैं, जो मुख्य रूप से गंगा नदी में पाए जाते हैं, इसलिए इन्हें गंगाटिक टर्टल भी कहा जाता है।
आरक्षित क्षेत्र घोषित
माना जाता है कि पुराने समय में इस धूणे पर आने वाले नाथ सम्प्रदाय के साधु गंगा से इन्हें लाए होंगे, जिससे उनकी संख्या यहां बढ़ी होगी। कैथल जिले के थाना गांव में भी इसी जातीय कछुए और शिव धूणा है। ये IUCN की सूची में और वन्यप्राणी संरक्षण कानून, 1972 की अनुसूची 1 में हैं। पीपुल्स फॉर एनीमल संस्था के अध्यक्ष विनोद कड़वासरा ने 2016 से आरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए प्रयास शुरू किए. 2018 और 2019 में, लंबी मेहनत के बाद, सरपंच, गाम राम और प्रशासन के सहयोग से जून 2019 में गुरु गोरखनाथ सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया।
मिले तीस से अधिक रेड रूफड टर्टल
विनोद कड़वासरा ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाई, डिजिटल नक्शा बनाया और चंडीगढ़ और जिला अधिकारियों के कई चक्कर लगाए। अब गांव काजल हेड़ी इन कछुओं के कारण पूरे राज्य में जाना जाता है, जो उन्हें बहुत खुशी देता है। विनोद ने बताया कि वे हाल ही में इस क्षेत्र में गए थे, इसलिए वे खुश नहीं थे। यहां वे तीस से अधिक रेड रूफड टर्टल (एक अन्य दुर्लभ प्रजाति) के कछुए देखे। तालाब में, ये सिर्फ अपने मुंह का आगे का सिरा निकालते हैं, या चोंच। मां बच्चा तालाब के बीच लकड़ियों पर बैठे हुए था।