कपास उगाने वाले किसानों के लिए आई बड़ी खुशखबरी, अब सरकार इस योजना के अंतर्गत देगी 16,000 की सब्सिडी
नई दिल्ली :- भारत में लगभग 1.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर कपास की खेती होती है, लेकिन अमेरिका, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की तुलना में औसत उत्पादकता कम बनी हुई है। यह देश जैव-प्रौद्योगिकी और सटीक कृषि का भरपूर उपयोग कर रहे हैं, जबकि महाराष्ट्र जैसे प्रमुख कपास उत्पादक राज्य, जहां 40 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती होती है, अब भी उत्पादकता के मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं। इसी को देखते हुए वैज्ञानिकों, उद्योग जगत और नीति-निर्माताओं ने विज्ञान आधारित समाधानों को अपनाने पर जोर दिया है। नागपुर में आयोजित आईसीएआर राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कपास की पैदावार बढ़ाने के लिए हाई-डेंसिटी प्लांटिंग सिस्टम को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
एचडीपीएस तकनीक से बढ़ेगी किसानों की उपज
नागपुर में आयोजित आईसीएआर राष्ट्रीय कार्यशाला आईसीएआर – केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान द्वारा फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया और नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सहयोग से आयोजित की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि एचडीपीएस तकनीक के जरिए प्रति एकड़ पौधों की संख्या बढ़ाई जा सकती है, जिससे न केवल उत्पादकता में सुधार होगा बल्कि मशीनीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे श्रमिकों पर निर्भरता कम होगी और किसानों की आय बढ़ेगी। आईसीएआर-सीआईसीआर, नागपुर के निदेशक डॉ. वाई. जी. प्रसाद ने कहा, ‘एचडीपीएस भारत के कपास क्षेत्र को बदलने की दिशा में एक अहम कदम है।
एचडीपीएस के लिए 6000 किसान जुड़े
महाराष्ट्र में 16,000 एकड़ भूमि पर एचडीपीएस तकनीक को अपनाया जा चुका है, जिसमें 6,664 किसान सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। यह पहल सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत चलाई जा रही है, जिसमें CICR, 10 निजी बीज कंपनियां और केंद्र सरकार के कृषि एवं कपड़ा मंत्रालय शामिल हैं।
16 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि
सरकार द्वारा रु.16,000 प्रति हेक्टेयर की प्रोत्साहन राशि इस तकनीक को अपनाने में सहायक साबित हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि एचडीपीएस से प्रति एकड़ कपास उत्पादन में 30-50 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। साथ ही यह मशीनीकृत कटाई को भी संभव बनाता है। इस तकनीक में न्यूमैटिक प्लांटर, बूम स्प्रेयर और मैकेनिकल पिकर जैसे उन्नत उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। रासी सीड्स के चेयरमैन डॉ. एम. रामासामी ने कहा, ‘बीटी कपास ने उत्पादन को बनाए रखा है, लेकिन बदलती कीट समस्याओं को देखते हुए नवाचार की जरूरत है। वैश्विक कपास उद्योग ने उन्नत कीट प्रबंधन तकनीकों को अपनाया है और भारतीय किसानों को भी इन अवसरों तक पहुंच मिलनी चाहिए।’