हाई कोर्ट के जज पर विवादित बयान दे मुश्किलों में हरियाणा के CM मनोहर लाल, अभय चौटाला बोले- मानहानि का मुकद्दमा दर्ज करवाएंगे
नारनौल :- विधायक अभय चौटाला ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर घमंड में चूर हैं और यही वजह है कि उन्होंने न्यायाधीश के विरुद्ध अभद्र टिप्पणी कर डाली. विधायक अभय चौटाला ने सोमवार को नारनौल में हरियाणा परिवर्तन पदयात्रा के दौरान पत्रकारों से बात की. अभय चौटाला ने कहा कि यह मामला गंभीर है इसीलिए हाईकोर्ट को भी इस पर संज्ञान लेना चाहिए. हाई कोर्ट को कड़े कदम उठाने चाहिए ताकि फिर कोई भी अदालत की अवमानना करने का साहस न करें.
समय-समय पर नेता करते हैं हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन
अभय चौटाला का कहना है कि अहंकार में लिप्त इस सरकार के नेता वैसे भी समय-समय पर हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते रहे हैं. वे मुख्यमंत्री के इस बयान पर अपनी पार्टी के Legal Cell और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वकीलों से समन्वय स्थापित कर रहे हैं. पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री की इस अभद्र टिप्पणी को लेकर हाईकोर्ट में अदालत की अवमानना के संदर्भ में एक याचिका दायर की जाएगी. आप ये लेख KhabriExpress.in पर पढ़ रहे है. आपकी इस पोस्ट के बारे मे क्या राय है मुझे कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं.
कैसे होगी आम जनता की सुनवाई
यदि हमें आवश्यकता हुई तो हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री के बयान के विरुद्ध मानहानि का केस भी दर्ज करवाएंगे. जब हाईकोर्ट को ऐसे डराया जा रहा है तो फिर आम जनता को कौन सुनेगा. इनेलो नेता ने कहा कि हरियाणा विधानसभा सत्र के दौरान जब उन्होंने जनता की आवाज को उठाया तो उन्हें विधानसभा से दो दिन के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इसको लेकर उन्होंने अपनी तरफ से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
हाईकोर्ट के प्रति विधानसभा नहीं जवाबदेह
हाईकोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए विधानसभा को नोटिस भेजा. अभय चौटाला ने तथ्यों के साथ सरकार पर हमला किया और कहा कि Notice के जवाब में सरकार के Advocate जनरल ने विधानसभा की प्रोसिडिंग और शपथ पत्र कोर्ट में देने के बारे में कहा है. हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि नोटिस का जवाब देने की बजाय विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर दिया गया है कि हाईकोर्ट के प्रति विधानसभा कि कोई जवाबदेही नहीं है.
हाईकोर्ट को खुद लेना चाहिए संज्ञान
इनेलो नेता ने डीएसपी बलजिंद्र सेखों का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि उस मामले में भी हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था और अब मुख्यमंत्री के अपमानजनक बयान के बाद भी हाईकोर्ट को स्वयं ही संज्ञान लेना चाहिए.