Haryana News: इन फसलों की खेती पर सरकार देती है पर एकड़ 7 हजार रुपये, आप भी ऐसे उठाए लाभ
चंडीगढ़ :- पूरे देश में पानी का स्तर लगातार नीचे ही जा रहा है, जो एक बड़े संकट की तरफ इशारा कर रहा है. देशभर में Ground Water Level नीचे गिरता जा रहा है. ऐसे में यह बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकता है. हरियाणा में भी भूमिगत जल का स्तर लगातार नीचे गिर रहा है. हरियाणा में गेहूं के बाद सबसे ज्यादा धान की खेती की जाती है. लेकिन किसानों द्वारा धान की सिंचाई भी Tubewell के जरिये ही की जाती हैं.
सबसे अधिक फसलों की सिंचाई में होता है भूमिगत जल का दोहन
विशेष बात यह है कि ग्राउंड वाटर का सबसे अधिक दोहन फसलों की सिंचाई में किया जा रहा है. इसमें भी सबसे अधिक जमीनी पानी का इस्तेमाल धान की खेती के लिए किया जाता है. इसी कारण से हरियाणा जैसे धान Producer राज्य में ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से गिर रहा है. फिलहाल सरकार इसको लेकर सावधान हो चुकी है. Media रिपोर्ट के अनुसार , हरियाणा में गेहूं के बाद सबसे ज्यादा धान बोई जाती है, परन्तु किसान Paddy की सिंचाई भी ट्यूबवेल से ही करते हैं. ऐसे में एक हेक्टेयर में धान की खेती करने पर 50 लाख लीटर पानी Consume होता है और हरियाणा में 33 लाख एकड़ से ज्यादा रकबे में धान की बुवाई होती है.
जल संरक्षण के लिए सरकार ने खोज निकाला है नया फार्मूला
ऐसे में अन्य राज्यों की तरह हरियाणा में भी भूमिगत जल का स्तर नीचे जा रहा है. लेकिन हरियाणा सरकार ने इस संकट से बाहर निकलने के लिए एक नया Formula खोज निकाला है. खट्टर सरकार ने ग्राउंड वाटर लेवल को बचाने के लिए ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना Launch की है. इस योजना के तहत राज्य सरकार किसानों को प्रोत्साहित कर रही है कि वह धान के स्थान पर अन्य दूसरी फसलों की खेती करें. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि ग्राउंड वाटर लेवल का बचाव हो पाए. आप ये लेख KhabriExpress.in पर पढ़ रहे है. आपकी इस पोस्ट के बारे मे क्या राय है मुझे कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं.
अन्य फसलें बोने पर दिया जा रहा है अनुदान
सरकार की तरफ से धान के स्थान पर अन्य फसलों की खेती करने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी प्रदान की जा रही है. दरअसल, हरियाणा सरकार का मानना है कि धान की खेती में बहुत ज्यादा पानी लगता है. धान की खेती के स्थान पर यदि हरी सब्जी, दाल, मक्का और तिलहन की खेती की जाए तो पानी का बचाव हो सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन फसलों की खेती में बहुत ही कम पानी की आवश्यकता होती है.
ड्रिप इरिगेशन पर दी जा रही है 80% सब्सिडी
इसके अलावा DSR तकनीक से धान की खेती करने पर 4000 रुपये प्रति एकड़ की दर से Subsidy दी जाएगी. पानी के बचाव को लेकर हरियाणा सरकार विभिन्न प्रकार की Schemes क्रियान्वित कर रही है. सरकार की तरफ से ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) पर भी 80 प्रतिशत सब्सिडी मुहैया करवाई जा रही है. ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से जब सिंचाई होती है तो इसमें बहुत कम पानी बर्बाद होता है, क्योंकि पानी बूंद बूंद करके फसलों की जड़ों तक जाता है. यदि किसान धान की खेती करने के अलावा अन्य फसलों की बुवाई करते हैं तो उन्हें सरकार की तरफ से अनुदान दिया जाता है.