हरियाणा सरकार का किसानों को बड़ा गिफ्ट, अब मिलेगा 5 लाख तक का सस्ता व आसान लोन
पंचकूला :- केंद्रीय बजट 2025-26 घोषणाओं के कार्यान्वयन पर चर्चा करने के लिए ‘कृषि और ग्रामीण समृद्धि पर बजट के बाद वेबिनार’ आयोजित किया गया. वेबिनार का उद्घाटन भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया व कृषि और किसान कल्याण के विभिन्न विभागों के सचिवों की अध्यक्षता में किया गया. इस दौरान पीएम ने कहा केंद्रीय बजट 2025-26 में भारत के अन्नदाता पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है. कृषि को दस प्रमुख विकासात्मक क्षेत्रों में शामिल किया गया है, जिससे देश की आर्थिक प्रगति को गति मिल सकेगी.
ये सभी संस्थाएं और किसान हुए शामिल
प्रतिभागियों में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ-साथ आरबीआई, नाबार्ड, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राज्य सहकारी और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (एसटीसीबी और डीसीसीबी, राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियां, कृषि विकास केंद्र और देशभर से आए किसान शामिल रहे.
7.75 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड
आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में बताया गया है कि 31 मार्च 2024 तक 7.75 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के खाते हैं. अल्पकालिक ऋण जरूरतों को पूरा करके केसीसी योजना ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
4% रियायती ब्याज दर पर ऋण
केसीसी-संशोधित ब्याज अनुदान योजना (केसीसी-एमआईएसएस) किसानों को 4 प्रतिशत की प्रभावी रियायती ब्याज दर पर ऋण दे रही है. किफायती ऋण तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने जमानत-मुक्त केसीसी ऋण को 1.6 लाख से बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया है.
ऋण सीमा बढ़ाई
एक बड़े कदम के रूप में केंद्रीय बजट 2025-26 ने संशोधित ब्याज सहायता योजना के तहत ऋण सीमा को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है. इस कदम से छोटे और सीमांत किसानों पर वित्तीय तनाव कम होने के साथ-साथ कृषि में अधिक निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इससे फसल उत्पादन, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए किसानों की बढ़ी हुई कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी.
ऋण 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना लक्ष्य
सरकार ने पिछले दशकों में ब्याज सहायता योजना के माध्यम से किसानों को 1.44 लाख करोड़ रुपये प्रदान किए हैं. इनके माध्यम से सरकार का लक्ष्य 2023-24 में कृषि अल्पकालिक ऋण को 9.81 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2029-30 तक 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना है.