Haryana News Today: कभी ड्राइविंग सीखने के लिए सुने थे ताने, अब बस ड्राइवर बन महिलाओ के लिए प्रेरणा बनी चरखी दादरी की शर्मीला
चरखी दादरी :- आज के मौजूदा समय में महिलाएं आत्मनिर्भर बनती जा रही है और अपना छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम वह स्वयं कर रही है. अब महिलाएं घर संभालते तक ही सीमित नहीं है. घर संभालने के साथ-साथ प्लेन उड़ने आदि जगहों मे भी महिलाओं का योगदान है. आज हम आपको चरखी दादरी की बहू शर्मिला की कहानी के बारे में जानकारी देंगे. जिन्होंने ड्राइविंग सिखाने के लिए काफी ताने भी सुने, परंतु आज वह लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई है.
चरखी दादरी की शर्मिला बनी हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा
कुछ समय पहले ही शर्मिला ने दिल्ली परिवहन निगम में ड्राइवर के पद पर ज्वाइन किया है और वह दिल्ली की सड़कों पर बसों को दौड़ाती हुई नजर आ रही है. शर्मिला को इस मुकाम तक पहुंचने में काफी समय लगा. यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई लोगों के ताने भी सुने, परंतु कभी भी हार नहीं मानी. अब महिलाएं भी बस ड्राइविंग के पैशे में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है. शर्मिला ने शादी के बाद अपने बेटे से साइकिल चलानी सीखी और उसके बाद बाइक और इस प्रकार वह धीरे-धीरे करके बस चलाना भी सीख गई.
इस प्रकार उनके मन में आया ड्राइविंग करने का विचार
हमारे समाज में ड्राइविंग का पेशा एक ऐसा पेशा है जिसे केवल पुरुषों से ही जोड़कर देखा जाता है, परंतु अब परिस्थितियों बदलती हुई नजर आ रही है.अब महिलाएं भी सड़कों पर बसों को दौड़ा रही है. शर्मिला ने शादी से पहले केवल आठवीं तक ही पढ़ाई की थी, परंतु शादी के बाद उन्होंने दसवीं और फिर 12वीं की परीक्षा पास की. उनके दो बच्चे हैं और उनके पति मजदूर है. मजदूरी से जब उनका व उनके परिवार का गुजारा नहीं हुआ, तो उन्होंने सरकारी स्कूल में कुक का भी काम किया. एक बार शर्मिला का बेटा काफी बीमार हो गया था. उस दौरान उन्हें बाइक चलानी नहीं आती थी, जिस वजह से उन्हें अपने बेटे को अस्पताल ले जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. उसके बाद शर्मिला ने बाइक चलाने सखी. फिर उनके मन मे बस चलाने का विचार आया. उसके बाद उन्होंने हरियाणा रोडवेज से बस चलाने का प्रशिक्षण दिया.