Haryana News: यमुना की बाढ़ बनी इन ग्रामीणों के लिए वरदान, तीन दिन में निकाल डाली 45 हजार क्विंटल लकड़ियां
जहां एक तरफ भारी बारिश और बाढ़ लोगों के लिए आफत बनी हुई है वहीं दूसरी तरफ यह लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध करवा रही है. जब भी नदियों नहरों में पानी तेज बहाव के साथ आता है. वैसे ही नदियों में तेज बहाव के साथ लकड़ियां बहकर आने लगती है. जिन्हें आस पास के ग्रामीण एकत्रित कर लेते हैं और फिर उन्हें बेच आते हैं. यमुना नदी में इन दिनों पानी काफी उफान पर चल रहा है, इसके बावजूद भी ग्रामीण लोग यमुना नदी से लकड़िया निकालने से नहीं घबराते. 10 दिन में यह ग्रामीण लोग 40,000- 45000 क्विंटल लकड़िया एकत्रित कर लेते है. फिर यह ट्रक में भरकर लकड़ी डिपो में बेच आते हैं. पानी मे शीशम, साल, देवदार, खैर की मजबूत लकड़िया बहकर आती है. हरियाणा में हथिनीकुंड बैराज, ताजेवाला हेड, मांडेवाला, बेलगढ़ आदि गांव के लोग यमुना नदी से लकड़िया एकत्रित करते है. इसी तरह पड़ोसी इलाके फतेहपुर, रिहाना, जानीपुर, उत्तर प्रदेश के लोग भी यमुना से लकड़ियां निकालने का कार्य करते हैं.
यमुनानगर :- पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश ने बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं. हरियाणा के कई जिलों में नहरों और नदियों के टूटने से बाढ़ के हालात पैदा हो गए है. अबकी बार हुई भारी बारिश के कारण जनजीवन काफी प्रभावित हुआ है. वर्षा के कारण नदियों में पानी का बहाव काफी तेज होता जा रहा है. वहीं नदिया अपने साथ लकड़ियां और महंगा महंगा सामान साथ बहाकर लाती है. नदियों नहरों के किनारों पर रहने वाले लोगों बाढ़ में भी रोजगार के अवसर ढूंढ रहे है.
पानी के साथ बहकर आती है बेशकीमती लकड़ियां
यमुना नदी में बारिश के समय बेशकीमती लकड़ियां बहकर आती है, जिन्हें ग्रामीण लोग अपनी जान जोखिम में डालकर इकट्ठा कर लेते हैं. लकड़ियां निकालने का कार्य महिलाओं सहित बच्चों द्वारा भी किया जाता है. जब भी Rain अधिक होती है, नदियों में पानी का बहाव बढ़ जाता है और तरह- तरह की बेशकीमती लकड़ियां पानी के साथ बहकर आती है. जिन्हें ग्रामीण लोग निकालकर इकट्ठी कर लेते है और इन्हे बेचकर पैसे कमाते हैं. हालांकि यह कार्य अवैध है परंतु फिर भी ग्रामीण नहीं मानते.
3 दिन में कर लेते हैं 40 से 45 हजार क्विंटल लकड़िया एकत्रित
वर्षा के समय ग्रामीणों ने 3 दिन में 40 से 45 हजार क्विंटल लकड़िया एकत्रित कर ली थी. बाढ़ के समय नदी के किनारे बसे हरियाणा के उत्तर मे बसे ग्रामीण पूरी तरह सक्रिय हो जाते हैं. कुछ लोग तो पानी का तेज बहाव देखकर पीछे हट जाते तो कुछ लोग वहीं लकड़ियां निकालने लगे रहते है. ये लोग लोहे के काटे बनाकर उनमे लकड़िया फसाकर खींच लेते है. पानी मे बहकर आने वाली लकड़िया वन विभाग के Depot व प्राइवेट ठेकेदारों की होती है.
एक लकड़ियों का ढेर बिकता है इतनी कीमत पर
पानी में शीशम, साल, देवदार, खैर आदि लकड़ियां आती है. हरियाणा में हथिनीकुंड, बेलगढ़, ताजेवाला हेड, मांडेवाला आदि गांव के लोग यमुना नदी से लकड़ियां निकालते हैं. पूरे दिन लकड़ियां इकट्ठी करने के बाद ग्रामीण लकड़ी ठेकेदारों के पास ले जाते हैं. जिन्हे खरीदने के लिए लकड़ी ठेकेदार हमेशा तैयार रहते हैं. इसी तरह पड़ोसी उत्तर प्रदेश के जानीपुर, रिहाना, फतेहपुर आदि क्षेत्रों के लोग भी लकड़िया निकालने का काम करते हैं. 1-1 लकड़ियों के ढेर की कीमत भी 20-30 हजार रूपये तक होती है.