Indian Railway: अब ट्रेनों की रफ्तार पर कोहरे का नहीं होगा असर, जाने क्या है रेलवे का नया प्लान
नई दिल्ली, Indian Railway :- अब भारत हर क्षेत्र में अपनी Technology का प्रयोग कर रहा है. भारत की तरफ से आत्मनिर्भर बनने के लिए अनेक कदम उठाये जा रहे है. Indian Railway ने भी ट्रेनों क़ो तेज़ करने के लिए स्वदेशी तकनीक क़ो आधार बनाया है. पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल से गुजरने वाली ट्रेनों को 160 किमी प्रति घंटे की Speed देने के लिए एक घरेलू तकनीक कवच की मदद ली जा रही है.
अपने आप रोक देगा ट्रेन, नहीं होगी दुर्घटना
इस तकनीक से ट्रेन के Driver को इंजन में ही 4 से 5 किमी रेलवे ट्रैक पर लगे Signal से मिलने वाले संदेश के बारे में पता लग जाएगा. फिर चाहे कोहरा हो या फिर तेज बारिश हो रही हो, ट्रेनों की रफ्तार बिल्कुल प्रभावित नहीं होती. कवच सिस्टम की विशेष बात यह है कि एक ही ट्रैक पर दो ट्रेन आने के दौरान यह System एक्टिव हो जाएगा और 400 मीटर पर ट्रेन को अपने आप ही रोक देगा, जिससे दुर्घटना होने की कोई संभावना नहीं होगी. कवच सिस्टम को रेलवे ने खुद बनाया है.
स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल से लागत में आएगी कमी
अभी तक यह तकनीक कुछ ही Train Use करते हैं. यह सिस्टम रेडियो के सिग्नल पर चलता है. इसे दो स्टेशन के बीच Install किया जाता है. इसमें हर 5 से 8 किमी के बीच एक टावर लगता है. इससे निकलने वाले सिग्नल को ट्रेन के इंजन में लगा Receiver कैच करता है. जैसे ही इंजन में बैठे ड्राइवर को सिग्नल प्राप्त होता हैं, वह ट्रेन को तेज़ करता है. विदेशी तकनीक का इस्तेमाल करने पर जहां 2 से 3 करोड़ प्रति किमी की लागत आती है वहीं इस स्वदेशी तकनीक में यह खर्च 40 से 50 लाख रुपये ही खर्चा होता है. Railway ने इस कवच को कोटा से गुजरने वाली दिल्ली-मुंबई रूट पर लगाया गया है. इसे जबलपुर से गुजरने वाली हावड़ा-मुंबई और भोपाल से गुजरने वाले दिल्ली-चेन्नई मेन लाइन पर स्थापित किया जाएगा.
रेडियो फ्रीक्वेंसी पर कार्यरत है कवच सिस्टम
कवच में दो स्टेशन के बीच आप्टिकल फाइबर केबल (Optical Fiber Cable) बिछाई जाती है, जो रेडियो फ्रीक्वेंसी पर काम करती है. जिसे रिसीव कर रेडियो तरंगों से सीधे इंजन के पास भेजा जाता है. कवच, स्टेशन पर लगी हुई इंटरलॉकिंग से अगले सिग्नल को मैसेज क़ो Send करता है. इस पद्धति को कैब सिग्नलिंग कहा जाता है.
खराब मौसम में भी समय पर संचालित हो सकेंगी ट्रेन
इस प्रणाली से चालक दल को 160 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार पर सिग्नल देने और रिसीव करने की Service मिलती है. जिसके बाद ड्राइवर को Indian Railway ट्रैक पर लगे सिग्नलों पर निर्भर होकर ट्रेन को नहीं चलाना पड़ता. इस सिस्टम से कोहरे या अन्य ख़राब दृश्यता वाले मौसम में भी ट्रेनों को सही समय पर संचालित किया जा सकता है. वंदे भारत ट्रेन में भी कवच सिस्टम लगा हुआ है.