भारतीय रेलवे ने सॉफ्ट ड्रिंक, कफ सिरप और नारियल पानी पर लगाई रोक, जाने रेलवे ने क्यों उठाया ये बड़ा कदम
नई दिल्ली :- दक्षिण रेलवे के तिरुवनंतपुरम डिवीज़न ने कुछ चीजें खाने-पीने से मना कर दिया है, क्योंकि उनसे सांस की जांच (ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट) में दिक्कत आती है. इस जांच से पता चलता है कि कहीं ट्रेन चलाने वाले (चालक दल) ने शराब तो नहीं पी है. 18 फरवरी को जारी एक नोटिस में कहा गया है. दरअसल 18 फरवरी को मंडल की ओर से जारी खास सर्कुलर में कहा गया है कि ड्यूटी शुरू होने से पहले और ड्यूटी के दौरान ‘ब्रीथ एनालाइजर’ द्वारा सांसों के परीक्षण के दौरान अल्कोहल की मात्रा बढ़ी हुई पाई जा रही है.
सांस में शराब की ज्यादा मात्रा
सर्कुलर के मुताबिक, “ड्यूटी शुरू होने से पहले और ड्यूटी के दौरान सांस की जांच में शराब की मात्रा ज्यादा पाई जा रही है. ऐसा होम्योपैथिक दवाइयां, कोल्ड ड्रिंक्स, नारियल पानी, कफ सिरप, माउथवॉश जैसी चीजों के इस्तेमाल से हो रहा है. जब खून की जांच की गई, तो लगभग सभी नमूनों में शराब नहीं मिली. लेकिन सांस में शराब की मात्रा ज़्यादा थी, जिससे ट्रेन चलाने में परेशानी हो सकती है. इसलिए, ट्रेन चलाने वाले सभी कर्मचारियों को ड्यूटी से पहले और ड्यूटी के दौरान इन चीजों का इस्तेमाल बिलकुल नहीं करना है.”
क्या होता है ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट
ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट एक ऐसी जांच है जिससे यह पता लगाया जाता है कि किसी व्यक्ति ने शराब पी है या नहीं. इस टेस्ट में व्यक्ति को एक मशीन (ब्रीथ एनालाइजर) में फूंक मारनी होती है. यह मशीन उस फूंक में मौजूद अल्कोहल (शराब) की मात्रा को नापती है. दरअसल जब कोई शराब पीता है, तो अल्कोहल उसके खून में मिल जाता है. फिर यह खून फेफड़ों तक पहुंचता है, और जब व्यक्ति सांस छोड़ता है, तो थोड़ी मात्रा में अल्कोहल भी सांस के साथ बाहर आता है. ब्रीथ एनालाइजर इसी अल्कोहल को पकड़ लेता है.