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Indian Railway: अब प्राइवेट कंपनियां बिछाएंगी रेलवे ट्रैक , पट्टे पर दी जाएगी रेलवे स्टेशनों के आसपास की जमीन

Indian Railway News: रेलवे ने पीपीपी मॉडल की शुरुआत की थी लेकिन इसमें ज्यादा प्रगति नहीं हुई। अब रेलवे बड़े प्रोजेक्ट्स में निजी कंपनियों को साथ लाने की तैयारी कर रहा है। पीपीपी मॉडल के तरह ट्रैक बिछाने का काम हो सकता है। साथ ही स्टेशनों के आसपास की जमीन पट्टे पर दी जाएगी।

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  • रेलवे की बड़े प्रोजेक्ट्स में PPP मॉडल अपनाने की योजना
  • प्राइवेट इनवेस्टमेंट से सरकार को संसाधनों की बचत होगी
  • स्टेशनों के आसपास की जमीन पट्टे पर देने का भी प्लान
रेलवे बड़ी परियोजनाओं में पीपीपी मॉडल अपनाने की योजना बना रहा है।

नई दिल्ली: रेलवे में पटरियां बिछाने के काम प्राइवेट कंपनियों को सौंपा जा सकता है। अधिकारियों के मुताबिक भारतीय रेलवे नई परियोजनाओं के विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल अपनाने की योजना बना रहा है। इसी वजह यह है कि रेलवे बड़े प्रोजेक्ट्स की कॉस्ट साझा करना चाहता है। एक अधिकारी ने कहा कि रेलवे आने वाले महीनों में पीपीपी मोड पर मिनरल कॉरिडोर जैसी नई कमर्शियल लाइनों सहित प्रमुख परियोजनाओं का निर्माण करने का प्रस्ताव कर रहा है। सरकार में यह सोच बढ़ रही है कि रेलवे में निजी निवेश को आकर्षित करने से संसाधनों की बचत होगी। इस राशि को सामाजिक क्षेत्रों और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास पर लगाया जा सकता है।रेलवे की रणनीति में यह बदलाव हाल में हुई एक इन्फ्रास्ट्रक्चर रिव्यू मीटिंग के बाद आया है। इस मीटिंग में कई मंत्रालयों ने हिस्सा लिया था। इसमें यह संकेत दिया गया था कि रेलवे को केवल इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण मोड पर निर्भर रहने के बजाय बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए पीपीपी पर भी विचार करने की जरूरत है। इस फाइनेंशियल ईयर में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 2.62 लाख करोड़ रुपये मिले हैं जिससे रेलवे को बड़ा बूस्ट मिलने की उम्मीद है।

प्रमुख कॉरिडोर कार्यक्रम

हालांकि पीपीपी मोड से प्रोजेक्ट के विकास में रेलवे ने ज्यादा प्रगति नहीं की है। रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए खुद की फंड जुटाता है। वह मालगाड़ियां चलाता है और माल ढुलाई पर शुल्क लगाकर अपने निवेश की रिकवरी करता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि नई कमर्शियल लाइनें पीपीपी पर विकसित की जाएंगी। किराये और यात्रियों की आवाजाही से संबंधित संवेदनशील फैसला पूरी तरह से रेलवे बोर्ड के पास रहेंगे।
रेलवे अभी एनर्जी (मुख्य रूप से कोयला), मिनरल्स और सीमेंट की आवाजाही से जुड़े तीन प्रमुख इकॉनमिक कॉरिडोर प्रोग्राम चला रहा है। इनका उद्देश्य पोर्ट कनेक्टिविटी में सुधार करना और रेल लाइनों पर भीड़भाड़ को कम करना है। प्लान्ड एनर्जी, माइनिंग और सीमेंट रेल कॉरिडोर की लागत साल 2031 तक 5.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। सागरमाला कार्यक्रम के तहत 1 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली लगभग 114 पोर्ट-रेल कनेक्टिविटी परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें से 26,385 करोड़ रुपये की कुल 49 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और मार्च 2024 तक 65 परियोजनाएं पूरी होने के विभिन्न चरणों में हैं।

पट्टे पर जमीन
बजट 2024-25 में नई लाइनों, गेज परिवर्तन और दोहरीकरण के लिए 68,634.44 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 73,734.57 करोड़ रुपये से कम है। पीपीपी कॉरिडोर को मेरी-गो-राउंड (MGR) नेटवर्क पर तैयार किए जाने की उम्मीद है। इसका इस्तेमाल पहले से ही कोयले की खदान से भारतीय रेलवे नेटवर्क जैसे समर्पित शॉर्ट हॉल माल ढुलाई के लिए किया जाता है। इस मॉडल के तहत, रेल पटरियों को उन कंपनियों द्वारा फंड किया जाता है जो इसका फायदा उठाना चाहते हैं।रेलवे ऑपरेशन है और लोकोमोटिव, वैगन, ब्रेक-वैन और अन्य रोलिंग स्टॉक प्रदान करता है। रेलवे की कमाई प्रतिदिन लोड किए गए रेक की संख्या और तय की गई दूरी से जुड़ी होती है। रेलवे ट्रैक के अलावा रिडेवलप किए गए रेलवे स्टेशनों से सटी खाली जमीन को भी पट्टे पर दिया जाएगा। इन पहलों से होटल और दुकान जैसी यात्री सुविधाओं में सुधार होने की उम्मीद है।

Author Meenu Rajput

नमस्कार मेरा नाम मीनू राजपूत है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर बतौर कंटेंट राइटर काम करती हूँ. मैंने बीकॉम, ऍम कॉम तक़ पढ़ाई की है. मैं प्रतिदिन हरियाणा की सभी ब्रेकिंग न्यूज पाठकों तक पहुंचाती हूँ. मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि मैं अपना काम अच्छी तरह से करू और आप लोगों तक सबसे पहले न्यूज़ पंहुचा सकूँ. जिससे आप लोगों को समय पर और सबसे पहले जानकारी मिल जाए. मेरा उद्देशय आप सभी तक Haryana News सबसे पहले पहुँचाना है.

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