Kanwar Yatra 2023: कावड़ यात्रा पर जाने से पहले जान लें ये जरूरी नियम, वरना नहीं मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद
चंडीगढ़ :- सावन का पावन महीना शुरू होने वाला है. 4 July 2023 से कावड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2023) शुरू हो जाएगी. कावड़ लेने के लिए दूर- दूर से श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचेंगे. श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पहले से ही तैयारियां कर ली है. सावन के पूरे महीने में भगवान शिव की आराधना की जाती है. सावन का महीना पूजा- पाठ, व्रत- तीर्थ और कावड़ यात्रा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण मान जाता है. इस महीने में सभी भक्तजन अलग अलग तरीकों से भगवान शिव को मनाने के लिए पूजा आराधना करते हैं.
सावन महीने में कावड़ लाने का विशेष महत्व
हिंदू धर्म में सावन महीने में हरिद्वार से Kanwad लाने का विशेष महत्व है. शिवभक्त भारी संख्या में हरिद्वार से कावड़ लाते हैं और शिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में पहुंचकर महादेव का जलाभिषेक करते हैं. हिंदू धर्म में माना जाता है कि भगवान शिव ऐसे भगवान हैं जो अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. मान्यता है कि भगवान Shiv कावड़ ले जाने वाले भक्तों के दुख- दर्द और सारे रोग हर लेते हैं.
3 तरह की होती है कांवड़
कावड़ 3 तरह की होती हैं जिसमें सामान्य कावड़, डाक कावड़ और दांडी कावड़ शामिल है. सामान्य कावड़ में कावड़िए रुक- रुक कर आराम करते हुए अपनी यात्रा को पूरी करते हैं. जबकी डाक कावड़ में कावड़िए बिना रुके अपनी यात्रा पूरी करते हैं. वही दांडी कावड़ यात्रा में कावड़िए गंगा को दंडवत प्रणाम करते हुए अपनी यात्रा पूरी करते हैं. झारखंड के वैद्यनाथ धाम सहित अन्य प्रसिद्ध Shiv मंदिर में पूरे सावन कावड़ियों की भीड़ लगी रहती है. शिवरात्रि के दिन दूर- दूर से शिवभक्त कावड़ लेकर भोलेनाथ के मंदिर में पहुंचते हैं. इसके अलावा हरिद्वार और वाराणसी में भी कांवड़िये कावड़ लेकर शिवजी के दरबार में पहुंचकर शिवजी को गंगा जल अर्पित करते हैं.
कांवड़िए रखें इन बातों का विशेष ध्यान
- कावड़ यात्रा के दौरान कावड़िए को साफ सफाई और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
- कावड़िए को 1 Month पहले ही मांस मदिरा का सेवन करना छोड़ देना चाहिए पूरे सावन के महीने में सात्विक भोजन करना चाहिए.
- गंगाजल से भरे हुए कावड़ को कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए, आवश्यकता पड़ने पर कावड़ को किसी उचित स्थान पर ही रखें.
- कावड़ यात्रा के दौरान कावड़ियों को बुरे या गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. कांवड़िए कावड़ ले जाते हुए दिल से बोल बम, बम- बम का नारा लगाते हुए चलना चाहिए.
- कावड़ को वृक्ष के नीचे नहीं रखना चाहिए. इसके अलावा कावड़ को बिना स्नान किए छूना भी नहीं चाहिए.