Lokendra Singh Kalvi: नहीं रहे करणी सेना के ‘नायक’ कालवी, दीपिका पादुकोण को भी दिया था खुला चैंलेज
नई दिल्ली :- दीपिका पादुकोण की फ़िल्म पद्मवत ज़ब Release हुई थी पूरे देश में हंगामा हो गया था. फिल्म ‘पद्मावत’ के जबर्दस्त विरोध के कारण पूरे देश के मीडिया की खबरों का केंद्र बनी करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी (Lokendra Singh Kalvi) अब इस दुनिया में नहीं रहें. 13 मार्च को कार्डियक अरेस्ट से उनका देहांत हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहें थे. उनका अंतिम संस्कार कालवी गांव में किया गया.
पद्मवत के डायरेक्टर और अभिनेत्री को दी थी खुली धमकी
लम्बे वक़्त से वें बीमार थे. जयपुर के एसएमएस अस्पताल (SMS Hospital) में उनका इलाज जारी था. Doctors की तरफ से रात लगभग 2 बजे उनके निधन की पुष्टि की गई. कालवी को जून, 2022 में ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) आया था. तभी से वे इलाज करवा रहे थे. कालवी उत्तेजक भाषणों के लिए प्रख्यात थे. ज़ब ‘पद्मावत’ का विरोध चल रहा था उन्होंने Director संजय लीला भंसाली और Actress दीपिका पादुकोण को खुलेआम धमकी दी थी.
हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर थी अच्छी पकड़
वे फिल्म से कुछ Scene हटाने और नाम बदलने की मांग कर रहे थे, जिसे स्वीकार कर लिया गया था. चंद्रप्रकाश द्विवेदी की Film पृथ्वीराज को लेकर भी ऐसा ही विरोध प्रदर्शन किया गया था. Lokendra Singh Kalvi मध्य राजस्थान के नागौर जिले के कालवी गांव में जन्मे थे. उनकी पढ़ाई अजमेर में पूर्व राजपरिवारों के पसंदीदा School मेयो कॉलेज से पूरी हुई थी. कालवी को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का अच्छा ज्ञान था. एक बार चित्तौड़ में जौहर स्वाभिमान सम्मेलन में उन्होंने कहा था – मैंने अपने पिता से सीखा है, जो डर गया, वो मर गया. जो झुक गया, वो रह गया. जो जात का नहीं, वह अपने पिता और राष्ट्र का नहीं.
राजस्थान की मुख्यमंत्री पहुंची थी कुशलता जानने
यूपी के बाहुबली नेताओं में शामिल पूर्व मंत्री कुंवर रघुराज प्रताप सिंह भैया राजा के साथ लोकेंद्र सिंह कालवी को देखा जा सकता था. जयपुर के SMS अस्पताल में करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी की कुशलता जानने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी गई थी. कालवी Basketball भी अच्छा खेलते थे.
भाजपा की टिकट पर लड़ा था Election
उनके पिता कल्याण सिंह कालवी राज्य और केंद्र में मंत्री रह चुके है. 1993 में कालवी ने नागौर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 1998 के लोक सभा चुनावों में उन्होंने बाड़मेर-जैसलमेर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, तब भी वह जीत नहीं पाए.