Kedarnath: इस जगह माफ हुए थे पांडवों के सभी पाप, स्वयं बाबा भोलेनाथ शिवलिंग रूप में हैं मौजूद
ज्योतिष शास्त्र :- हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व होता है. इन सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने से अक्षर की प्राप्ति होती है. शिवजी के इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक Kedarnath धाम भी है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड राज्य में स्थित है.
हिमालय की गोद में बसा है ये ज्योतिर्लिंग
ऐसा प्रतीत होता है कि Kedarnath हिमालय की गोद में बसा हुआ है. आप 11 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कभी भी कर सकते हो, परंतु इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आपको शीतकाल के खत्म होने का इंतजार करना पड़ता है. क्योंकि शीतकाल में बर्फबारी होने के कारण केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. परंतु, अच्छी बात यह है कि 25 अप्रैल से Kedarnath मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं. अब भक्त बिना किसी रूकावट के केदारनाथ शिव के दर्शन कर पाएंगे.
6 महीने बंद रहते हैं मंदिर के कपाट
आपको बता दें कि साल के 6 महीने Kedarnath धाम बर्फ की चादर में ढका रहता है. शीत ऋतु में बर्फबारी होने के कारण केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. यहां भगवान शिव त्रिकोण शिवलिंग के रूप में विराजमान है. केदारनाथ के बारे में कई पौराणिक कथाओं का वर्णन इतिहास में मिलता है परंतु, आज हम आपको जो कथा बताने जा रहे हैं वह पांडवों से संबंधित है. आप ये लेख KhabriExpress.in पर पढ़ रहे है. आपकी इस पोस्ट के बारे मे क्या राय है मुझे कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की कथा
बताया जाता है कि महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद पांडवों ने करीब 4 दशक तक हस्तिनापुर पर शासन किया था. 1 दिन पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण ने पूछा कि हम सभी ने अपने बंधुओं की हत्या के साथ – साथ ब्रह्महत्या का पाप भी किया है. इस पाप से मुक्ति कैसे मिल सकती है. इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि इस पाप से मुक्ति तुम्हें भगवान शिव ही दिला सकते हैं. यह सुनकर पांडवों ने पूरा राज्य राजा परीक्षित को सौंप दिया तथा द्रोपती समेत पांचो पांडव भगवान शिव की तलाश में निकल पड़े. शिवजी की तलाश करते – करते पांडव हिमालय पर्वत तक आ पहुंचे.
जब पांडव हिमालय पर पहुंचे तो उन पर एक बैल ने हमला कर दिया. यह देख कर भीम ने बैल से युद्ध करना आरंभ किया तथा बैल का धड़ सिर से अलग कर दिया. परंतु, देखते ही देखते बैल का धड़ शिवलिंग में परिवर्तित हो गया तथा कुछ क्षण बाद उसी शिवलिंग से भगवान शिव जी प्रकट हुए. भगवान शिव ने पांडवों के सभी पाप क्षमा कर दिए. आपको बता दें कि यही शिवलिंग आज केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. केदारनाथ धाम में आज भी बैल का धड़ शिवलिंग के रूप में मौजूद है और यह शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक है.