जाने क्यों सरकार दिखा रही है डीजल वाहनों पर सख्ती, भारत के शहरों में जल्द बैन हो सकते हैं ये वाहन
नई दिल्ली :- Air Pollution आज के समय में भारत की ही नहीं अपितु पूरे विश्व की एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है. देश के प्रमुख शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पिछले वर्षों में सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. इसी कड़ी में पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा एक पैनल का गठन किया गया है. इस Panel ने सरकार के सामने प्रस्ताव रखा की 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 2022 तक Diesel से चलने वाले चार पहिया वाहनों पर प्रतिबंध लगाया जाए. इसके साथ ही इस पैनल ने Electric और गैस से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देने के लिए भी कहा है. अभी तक सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है, परंतु बताया जा रहा है कि बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार सख्त कदम उठाएगी.
डीजल वाहनों की हिस्सेदारी
जानकारी के लिए आपको बता दे कि भारत में परिष्कृत ईंधन की खपत का लगभग 2/5 हिस्सा डीजल का है. इसका 80% उपयोग परिवहन के क्षेत्र में किया जाता है. SIAM की Report के अनुसार वित्त वर्ष 2013 में डीजल कारों की हिस्सेदारी 58% थी, जो साल 2017 में 40% हो गई. वित्त वर्ष 2021 में यह संख्या घटकर 17% से भी कम रह गई जो कि 2023 से 19 फ़ीसदी से कम है.
डीजल पर सख्ती के कारण
डीजल वाहन बहुत अधिक मात्रा में Particulate Matter उत्पन्न करते हैं. लंबे समय तक ऐसी गैसों के संपर्क में रहने से के फेफड़े की समस्याएं, अस्थमा तथा कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. कई शोधों के मुताबिक पता चला है कि वायु प्रदूषण जीवन प्रत्याशा को भी कम करता है.
सरकार ने उठाए ये कदम
देश में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पिछले कुछ सालों से सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. इसके अंतर्गत 1 अप्रैल से देश में स्वच्छ ईंधन के लिए फेमस स्कीम का BS 6 चरण 2 लागू किया गया है. इसके अलावा सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों को रियायतें भी देती है. वाहनों में एथेनॉल ईंधन का उपयोग शुरू किया गया है. वर्तमान समय में पेट्रोल में 11.75 फीसदी एथेनॉल मिलाया जा रहा है. 2030 तक भारत का लक्ष्य जैव ईंधन की हिस्सेदारी को वर्तमान 6.2% से बढ़ाकर 15% करना है.
वाहन कंपनियां भी सतर्क
वाहन निर्माता कंपनियां डीजल का निर्माण को लेकर सतर्क हो गई है. वायु प्रदूषण को कम करने की पहल में Maruti Suzuki India and Honda सहित अनेक कर कंपनियों ने पहले ही यात्री वाहन खंड में डीजल से चलने वाली कारों का निर्माण बंद कर दिया है. वही Toyota and Maruti फ्लेक्स फ्यूल वहां पर भी कम कर रही है.
पैनल की महत्वपूर्ण सिफारिश
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा गठित पैनल ने निम्नलिखित सिफारिश से रखी है
- 2024 से केवल इलेक्ट्रिक वाहन के नए पंजीकरण को अनुमति दी जानी चाहिए.
- 2030 तक ऐसी सिटी बसें जो इलेक्ट्रिक नहीं है को ना जोड़ा जाए.
- ऑटोमोबाइल उद्योग में प्राकृतिक गैस का प्रयोग बढ़ाया जाना चाहिए.
इन देशों में प्रतिबंध की तैयारी
अमेरिका 2023 से डीजल कारों पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है. पेरिस में जून 2022 से ही भारी गैस उत्सर्जित करने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. फ्रांस 2040 तक जीवाश्म ईंधन कारों की बिक्री बंद कर देगा. यूनाइटेड किंगडम Petroleum and Dieselपर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है.