Kurukshetra News: ये है हरियाणा का एकमात्र ऐसा मंदिर जहा मनोकामना पूरी होने पर चढ़ाए जाते हैं घोड़े, भगवान श्रीकृष्ण ने भी इस तरह करवाया था मुंडन
कुरुक्षेत्र, Kurukshetra News :- नवरात्रि के दिनों में माता रानी के मंदिर में हजारों लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं तथा अपने परिवार में सुख – समृद्धि की मनोकामना मांगते हैं. वैसे तो पूरे भारत में माता रानी के हजारों मंदिर है, परंतु 52 शक्तिपीठों की अधिक मान्यता है. इन 52 शक्तिपीठों में हरियाणा का एकमात्र मंदिर शामिल है, जो कुरुक्षेत्र में मां भद्रकाली का मंदिर है. यहां मान्यता है की माता के दरबार में भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. इस मंदिर को मां भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर के नाम से जाना जाता है.
हरियाणा का एकमात्र शक्तिपीठ
माता भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर के पीठाधीश पंडित सतपाल शर्मा ने बताया कि हरियाणा में यह एकमात्र शक्तिपीठ है. यह मंदिर कुरुक्षेत्र के उत्तरी छोर पर सरस्वती नदी के तट पर प्राचीन काल समय से बना हुआ है. इस मंदिर में मनोकामना पूरी होने के बाद यहां घोड़े चढ़ाए जाते हैं. यह भद्रकाली का मंदिर है इसलिए यह माता काली के लिए समर्पित है.
ऐसे बना मंदिर
जब सती ने अपने पिता दक्ष के हवन में कूद कर अपनी जान दे दी, तब भगवान शंकर उनके मृत शरीर को उठाकर अपना आपा खोकर पूरे ब्रह्मांड में घूमने लगे. जब भगवान विष्णु ने माता सती के मरने के बाद भोलेनाथ की यह दशा देखी तो वह व्याकुल हो उठे. इसके बाद विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर के 52 टुकड़े कर दिए तथा जहां – जहां उनके शरीर के टुकड़े गिरे वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गई. पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती के दाएं पैर के घुटने के नीचे का भाग यहां गिरा था जो आज मंदिर में मौजूद है. मंदिर प्रशासन के द्वारा अब इसको अलग से एक संगमरमर के पत्थर के द्वारा बनाया गया है, जहां पर आकर सभी भक्त दर्शन करते हैं. माता सती के दाएं पैर के घुटने के नीचे का भाग आज भी मंदिर में विद्यमान है.
मंदिर में चढ़ाए जाते हैं घोड़े
पंडित सतपाल शर्मा ने बताया कि महाभारत काल का एक किस्सा है जिसके चलते माता भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर में घोड़े चढ़ने की परंपरा चलती आ रही है. जिन भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है वह यहां पर सामर्थ्य अनुसार मिट्टी, पत्थर, सोने तथा चांदी इत्यादि के घोड़े चढ़ाते हैं. पूर्व राष्ट्रपति तथा अनेक बड़ी – बड़ी हस्तियां भी अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर यहाँ माता रानी के दरबार में घोड़े चढ़ा चुके हैं.