NDRI Karnal: ज़्यादा दूध चाहिए तो गाय-भैंसों को सुनाओ म्यूजिक, NDRI की रिसर्च में हुए चौंकाने वाले खुलासे
करनाल :- जिस प्रकार संगीत को सुनकर मनुष्य खुद को रिलैक्स फील करवाते हैं, ठीक उसी प्रकार ही मधुर धुन या संगीत पशुओं को भी तनाव मुक्त रखता है, एक रिसर्च में यह बात सामने आई है. NDRI की शाखा (NDRI Karnal) जलवायु प्रतिरोधी पशुधन अनुसंधान केंद्र ने हजारों दुधारू पशुओं पर यह रिसर्च की है. कहते हैं कि जब भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजाते थे तो उनकी धुन सुनकर सैकड़ों गाय दौड़ी चली आती थी, यह कहावत अब वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बिल्कुल सच साबित होती हुई दिखाई दे रही है.
क्या इंसानो की तरह पशुओ को भी पसंद है संगीत
जलवायु में होने वाले परिवर्तन से न केवल इंसान परेशान होते हैं, बल्कि यह पशुओं को भी काफी व्याकुल कर देते हैं. दुधारू पशुओं को तनावमुक्त रखने के लिए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल की तरफ से एक अनोखी रिसर्च की गई है. इस रिसर्च से सामने आया है कि जिस प्रकार Music सुनने से इंसान खुद को रिलैक्स फील करवाते हैं, ठीक उसी प्रकार मधुर धुन या संगीत पशुओं को भी तनाव मुक्त रखता है. पिछले करीब साडे 4 सालों से इस पर रिसर्च की जा रही थी.
संगीत सुनने से बढ़ती है पशुओं की दूध देने की क्षमता
इस रिसर्च के नतीजे काफी चौंकाने वाले सामने आए. संगीत सुनने से न केवल पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर रहता है, बल्कि उनके दूध देने की क्षमता भी बढ़ती है. इस बारे में संस्थान के वरिष्ठ पशु वैज्ञानिक डॉ आशुतोष से बातचीत की गई. उन्होंने कहा कि काफी समय पहले सुना गया था कि गायों को भी संगीत और भजन काफी पसंद होते हैं. इसके बाद हमने भी इस प्रयोग को अपनाया, तो परिणाम काफी अच्छे सामने आए.
जलवायु परिवर्तन को लेकर किया गया पशुओं पर शोध
संगीत की तरंगे और ध्वनि सुनकर गाय के मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन हार्मोन सक्रिय हो जाता है, जो गाय को दूध देने के लिए प्रेरित करता है. साल 1955 में NDRI की स्थापना के बाद से ही पशुओं पर कई प्रकार के शोध किए जा रहे हैं. देसी गायों की नस्ल पर भी अलग-अलग प्रकार के प्रयोग किए जा रहे हैं, इसी दिशा में पशुओं पर जलवायु परिवर्तन के असर को लेकर भी शोध चल रहा था.
हमेशा बंधे रहने से तनाव में आ जाते है पशु
इस दौरान उन्हें तनावमुक्त रखने के प्रयास किए जा रहे थे. संगीत सुनाकर पशुओं के व्यवहार को परखा गया और पाया गया कि संगीत से पशु भीषण गर्मी में भी अपने आपको रिलैक्स रखते हैं और परिणाम स्वरूप वे आराम से बैठकर जुगाली करते हैं. डॉ आशुतोष ने बताया कि जब भी हम पशुओं को एक ही स्थान पर बांध कर रखते हैं तो उससे वह तनाव में आ जाते हैं.