Mughal Harem: बादशाहों के बहुत खास होते थे मुगल हरम के किन्नर, इस काम में लिए जाते थे प्रयोग
मुग़ल इतिहास :- मुगलों ने काफी लंबे वक्त तक हिंदुस्तान पर हुकूमत की है. हुकूमत के दौरान मुगल बादशाहों के ऐशो आराम के लिए भी काफी ध्यान रखा जाता था. मुगल बादशाह अपने ऐशो आराम के लिए काफी खर्चा करते थे. मुगल सल्तनत की चर्चा ज़ब भी होती है मुगल हरम (Mughal Harem) के बारे में जरूर वर्णन होता है. मुगल हरम की एक ओर विशेष कड़ी ट्रांसजेंडर (Transgender) थे.
Mughal Harem की सुरक्षा के लिए किया जाता था तैनात
मुगल हरम की चौकसी और सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं ट्रांसजेंडर के कंधों पर थी. मुगल हरम में रहने वाले ये किन्नर बादशाह और बेगमों के लिए बहुत खास होते थे. इसके पीछे कई कारण हैं. जिस भी ट्रांसजेंडर को मुग़ल हरम की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता था वे सभी युद्ध कला में भी निपुण होते थे. इसके अलावा कुछ को तो मार्शल आर्ट में भी महारत हासिल थी. बताया जाता है कि कई ट्रांसजेंडर्स को घोड़े भी मिले हुए थे. उनका पद बहुत ऊंचा होता था.
Mughal Harem में होती थी विशेष भूमिका
अगर आपको भी इस बारे में उत्सुकता हो रही है तो आइए जानते हैं कि मुगल काल में ट्रांसजेंडर्स को इतना महत्व क्यों दिया जाता था? मुग़ल हरम में किन्नरों को मुख्य दर्जा दिया जाता था. बादशाह की तरफ से इन्हें बहुत सी जिम्मेदारियां सौंपी जाती थी. इसके अतिरिक्त ट्रांसजेंडर्स के 4 मुख्य काम थे. जिनमें मनोरंजन, सुरक्षा, संदेश पहुंचाने और सेवा में महत्वपूर्ण रोल शामिल था. ट्रांसजेंडर्स को स्वामी भक्त कहा जाता था.
अकबर के शासनकाल में पाया विशेष स्थान
जैसा कि आप सभी जानते हैं मुगल हरम की सुरक्षा कई परतों में होती थी. सबसे अंदर के सुरक्षा घेरे में मात्र ट्रांसजेंडर्स ही तैनात होते थे. उनमें कोई पुरुष नहीं होता है. कहते है कि मुगल हरम की सुरक्षा में तैनात ट्रांसजेंडर बादशाह की मर्जी के बिना किसी को प्रवेश नहीं देते थे. मुग़ल बादशाह अकबर के काल से ट्रांसजेंडर्स ने अपना विशेष स्थान बना लिया था . मुगल बादशाह अकबर के काल में हरम को कई हिस्सों में विभाजित किया गया था. इनकी सुरक्षा करने की सारी जिम्मेदारी ट्रांसजेंडर्स के कंधों पर ही थी. अकबरनामा में भी इस बारे में बताया गया है कि एक बार अकबर के सौतेले भाई अधम खान को भी किन्नर ने हरम में घुसने नहीं दिया था.