Neem Karoli Baba Biography in Hindi: हनुमान जी के अवतार मामने जाते है नीम करोली बाबा, Apple के CEO और Facebook के संस्थापक भी है इनके भक्त
नई दिल्ली, Neem Karoli Baba Biography in Hindi :- भारत ऋषि-मुनियों की धरती रही है. पुरातन काल से ही भारत में बहुत से साधु- संत और महात्मा हुए हैं. महात्माओं ने ही अध्यात्म को पुन: भारत में स्थापित किया है. संत और महात्मा हमारे जीवन को एक अलग ही दिशा देते हैं. संत महात्मा लोग अपनी सुख-सुविधाओं को त्याग कर अध्यात्म में अपना ध्यान लगाते हैं और हमारे जीवन को प्रकाशमान करते हैं. आज की इस खबर में हम आपको बाबा नीम करोली वाले की कहानी के बारे में विस्तार से बताएंगे.
इनका पूरा जीवन ही चमत्कारों से भरा हुआ है. आज की इस खबर में इनके जीवित रहते हुए और समाधि के बाद की चर्चाओं की जानकारी देंगे. देश-विदेश के भक्तों का यहां आना जाना लगा रहता है. बाबा किसी भी भक्तों में (Neem Karoli Baba Biography in Hindi) कोई भी भेदभाव नहीं करते चाहे वह अमीर हो या फिर गरीब. बाबा का गरीब से गरीब व्यक्ति और अमीर से अमीर व्यक्ति तक भक्त है, इसमें देश के PM से लेकर Facbook के संस्थापक और Apple के संस्थापक का भी नाम शामिल है.आप ये लेख KhabriExpress.in पर पढ़ रहे है. आपकी इस पोस्ट के बारे मे क्या राय है मुझे कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं.
Who is Neem Karoli Baba
नीम करोली बाबा को भारत में बीसवीं सदी के महानतम संतो में से एक माना जाता है. नीम करोली बाबा भगवान हनुमान जी के अनन्य भक्त थे. नीम करोली बाबा को लक्ष्मणदास हांडी वाला बाबा और तिकोनिया बाबा के नाम से भी जाना जाता है. इन्हें हनुमान जी का साक्षात अवतार माना जाता है. नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा है. कहा जाता है कि बाबा नीम करोली को 17 साल की अल्पायु में ही हनुमान जी की सिद्धि से ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी. नीम करोली बाबा के चमत्कारों को सुनकर पूरे विश्व से लोग उनकी ओर खींचे चले आते हैं.
Baba is believed to be an ardent devotee of Hanuman ji.
बाबा नीम करोली को भक्त हनुमान जी का अवतार मानते हैं बचपन से ही हनुमान जी की भक्ति में रमे होने की वजह से नीम करोली को हनुमान जी से काफी प्रेम था. हनुमान जी की कृपा के बाद ही बाबा नीम करोली को असीम चमत्कारी ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. सदा हनुमान जी की भक्ति में रमे रहने वाले बाबा नीम करोली हमेशा से ही सादगी में अपना जीवन व्यतीत करते थे, वह बिना किसी आडंबर के भक्तों के कष्टों को दूर किया करते थे. बाबा नीम करोली किसी को भी अपने चरण स्पर्श तक नहीं करने दिया करते थे. भक्तों को कहते थे कि आप भगवान हनुमान जी के चरणों को स्पर्श करें. आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं
Neem Karoli Baba Biography in Hindi
- Neem Karoli Baba Real Name : Lakshmi Narayan Sharma
- Neem Karoli Baba Father’s Name : Durga Prasad Sharma
- Neem Karoli Baba Date of Birth : 1900
- Neem Karoli Baba Birthplace : Akbarpur( Firozabad), Uttar Pradesh
- Neem Karoli Baba Guru Name : Hanuman Ji
- Neem Karoli Baba Wife Name : Ram Beti
- Neem Karoli Baba Children Name : Anek Singh Sharma (Son), Dharm Narayan Sharma (Son), Girja Devi (Daughter)
- Neem Karoli Baba Disciple : Bhagwan Das, Krishna Das, Ramdas, Ram Rani, Surya Das.
Neem karoli Baba Birth
अध्यात्म के फेमस बाबा बाबा नीम करौली का जन्म 1900 के आसपास हुआ था. इनका जन्म फरीदाबाद जिले के निकट अकबरपुर नामक जगह पर हुआ था. नीम करोली बाबा के पिता का नाम पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा था. एक बहुत बड़े जमीदार थे और इनका Real Name लक्ष्मी नारायण शर्मा था. बाबा को बेहद छोटी सी उम्र से ही अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी. बाबा नीम करोली हनुमान जी के भक्तों में अवतार माने जाते थे. 11 साल की उम्र में ही इनका विवाह हो गया था.
This is how spiritual knowledge was acquired
शुरू से ही इन्हें अलौकिक ज्ञान प्राप्त करना था जिस वजह से गृहस्थ जीवन से इनका मन विचलित हो गया और उन्होंने शीघ्र ही इसे त्यागने का फैसला लिया. फिर कुछ समय तक बाबा इधर उधर भटकते रहे. अपने जीवन के शुरुआती साल बाबा ने गुजरात के मोरबी से 35 किलोमीटर दूर एक गांव में साधना करके बिताए. इसी स्थान पर बाबा ने बहुत सारी सिद्धि हासिल की. यहां आश्रम के गुरु महाराज ने उनका नाम लक्ष्मण दास रखा. उसके बाद महंत ने बाबा को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.
In this pond, Baba did penance everyday for hours and hours.
इसके बाद वहां पर अन्य शिष्यों की वजह से कुछ विवाद भी हो गया था, जिस वजह से वह ज्यादा समय तक इस स्थान पर नहीं रुके और उन्होंने शीघ्र ही इस स्थान को भी छोड़ दिया. बाबा किसी भी वाद- विवाद का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे. इसके बाद वह राजकोट के पास बवानिया गांव में एक तालाब के किनारे उन्होंने हनुमान जी का एक मंदिर स्थापित किया. यही वह तालाब है जिसमें खड़े होकर उन्होंने घंटो -घंटों तक हर रोज तपस्या की थी. इसके बाद वहां पर लोग तलैया बाबा के नाम से इन्हें पुकारने लगे. 1917 में एक संत रमाबाई को आश्रम समर्पित कर नीम बाबा करौली वाले यहां से चले गए. इसके बाद वह मां गंगा से मिलने के लिए वहां से निकल पड़ते हैं.
Because of this Baba got fame
उसके बाद बाबा गंगा मैया के दर्शन करने के लिए टूंडला से फर्रुखाबाद जाने वाली ट्रेन के जरिए प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे, तभी टिकट निरीक्षक ने बाबा की बेइज्जती करके उन्हें रास्ते में ही ट्रेन से उतार दिया. बाबा ने कोई भी विरोध नहीं किया और वह चुपचाप ट्रेन से उतर गए. नीम के पेड़ के नीचे बैठ गए और उन्होंने वही जमीन पर चिमटा गाड दिया. हैरानी की बात तो यह थी कि उनके उतरते ही ट्रेन वही की वही रुकी रही. लाख कोशिश करने के बाद भी ट्रेन नहीं चली. ट्रेन के गार्ड, ड्राइवर व टिकट निरीक्षक को भी आभास हुआ कि उन्होंने बाबा को ट्रेन से उतार कर बहुत बड़ी गलती कर दी है. फिर उन्होंने दोबारा बाबा से क्षमा याचना मांगी और विनती की कि वह पुन: दोबारा ट्रेन में बैठ जाए ताकि ट्रेन चल सके.
बाबा ने ट्रेन में बैठने के लिए 2 शर्ते रखी. पहली आप साधु संतो की ऐसे बेइज्जत नहीं करेंगे और दूसरी इस स्थान पर एक रेलवे स्टेशन का निर्माण करवाया जाएगा. यह ब्रिटिश शासन काल के समय की बात है. उस दौरान बाबा की दोनों शर्ते को मान लिया गया और जैसे ही बाबा ट्रेन में बैठे ट्रेन चल पड़ी. इसी वजह से उस स्टेशन का नाम नीबकरोरी स्टेशन पड़ा. जो आज भी वही स्थित है. उस समय उनके साथ गांव के काफी लोग भी गंगा मैया का स्नान करने जा रहे थे. उन्होंने बाबा से आग्रह किया कि वे उनके गांव में आकर रहे. उसके बाद बाबा ने गांव वालों से कहकर गुफा बनवाई. यहां पर बाबा जी ने अपने हाथों से हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना भी की.
In this way, along with spirituality, the household life was handled
बाबा अपने पिता के आदेशों के बाद 10 साल बाद अकबरपुर गांव वापस आते हैं. उनके पिता कहते हैं कि बेटा अब तुम गृहस्थ जीवन व्यतीत करो. इस पर बाबा अपने पिता का आशीर्वाद लेते हुए कहते हैं कि मैं अपने गृहस्थ जीवन का पूर्णतया उत्तरदायित्व निभाऊंगा, साथ ही मैंने जो भी समाज सेवा का कार्य शुरू किया है, मैं इससे भी पीछे नहीं हटूंगा अर्थात् इसे भी जारी रखूंगा. इस पर बाबा के पिता कहते हैं कि बेटा मुझे जनकल्याण के कार्यों से कोई भी परेशानी नहीं है. बस तुम घर आते जाते रहा करो. बाबा अपने पिता के दिल की बात को समझ जाते हैं और उन्हें वचन देते हैं कि वह ऐसा निरंतर करते रहेंगे. फिर 1925 में बाबा को पुत्र की प्राप्ति होती है जिसका नाम अनेग सिंह शर्मा रखा गया. इसी बीच बाबा का नीबकरोरी में आना जाना भी बना रहा. साल 1917 से 1935 तक बाबा नीबकरोरी में तपस्या करते रहे, फिर 1935 में यहां पर एक भव्य का आयोजन होता है. उनके धर्म कार्य और ग्रहस्थ कार्य दोनों ही साथ- साथ चल रहे थे. साल 1937 में उन्हें दूसरे पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम धर्म नारायण शर्मा रखा जाता है. वह आजकल वृंदावन आश्रम की देखरेख करते हैं. इसके बाद साल 1945 में उन्हें कन्या रत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम गिरजा देवी रखा गया.
Baba’s Famous Kainchi Dham
साल 1961 के दौरान बाबा हिमालय में भ्रमण कर रहे थे. इस दौरान वह देवभूमि उत्तराखंड में आए और उन्होंने अपने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां पर एक आश्रम स्थापित करने का फैसला लिया. साल 1964 में बाबा नीम करोली की तरफ से उत्तराखंड के नैनीताल जिले के पवित्र कैंची धाम की स्थापना की गई, जो श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र अध्यात्मिक केंद्र माना जाता है. धाम में प्रत्येक 15 June को विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें भाग लेने के लिए काफी दूर-दूर से श्रद्धालु और भक्त आते हैं. मान्यता है कि बाबा नीम करोली के कैंची धाम के दर्शन कर लेने से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.
Question 1) बाबा नीम करौली वाले कौन है?
Answer : भक्तों की तरफ से बाबा को हनुमान जी का अवतार माना जाता है,जो देश विदेश के काफी प्रसिद्ध संत है.
Question 2) कैंची धाम कहां स्थित है?
Answer : कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है.
Question 3) बाबा नीम करौली वाले का रियल नेम क्या है?
Answer : लक्ष्मी नारायण शर्मा .
Question 4) कैंची धाम को कब स्थापित किया गया था?
Answer : सन 1964 में.