पशुओं में कभी भी इग्नोर न करे ये 6 लक्षण, तुरंत उपाय न करने पर धंधा हो जाएगा चौपट
नई दिल्ली :- पशुपालन का कारोबार लोगों के समृद्धि का द्वार खोल रहा है. किसान गाय ,भैंस ,बकरी का पालन करके अच्छी कमाई करते हैं. हालांकि पशुपालन करने वाले अधिकतर किसान भैंस के पालन पर ज्यादा जोर देते हैं. भैंस के दूध की मांग बाजारों में अधिक रहती है जिससे पशुपालकों को मुनाफा भी अधिक होता है. लेकिन कई बार भैंस अचानक दूध देना बंद कर देती है उसका दूध कम हो जाता है तो मुनाफे पर दोहरी मार पड़ती है.
दूध उत्पादन पर सबसे ज्यादा असर
भैंस पालने वाले किसान यही उम्मीद करता है कि उनकी भैंस ज्यादा से ज्यादा और अच्छी फैट वाला दूध देगी. लेकिन जब ज्यादा दूध देने वाली भैंस एकदम से दूध देना कम कर दे तो पशुपालक के मुनाफे पर असर पड़ना वाजिब है. साथ ही दूध उत्पादन की लागत भी बढ़ जाएगी. और ये सब होता है मिल्क फीवर के चलते. ये एक ऐसी बीमारी है जो पशु की हैल्थ के साथ-साथ उसके दूध उत्पादन पर सबसे ज्यादा असर डालती है
क्या है मिल्क फीवर?
रायबरेली जिले के राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर इंद्रजीत वर्मा ने बताया कि मौसम में परिवर्तन होना या फिर अचानक तापमान में बढ़ोतरी होने से भैंस में मिल्क फीवर नामक बीमारी हो जाती है. जो असल में एक तरह का बुखार होता है. इससे भैंस के दुग्ध उत्पादन की क्षमता कम होती है. साथ ही उसका स्वास्थ्य भी कमजोर पड़ने लगता है. इस बीमारी के चलते ही लागत भी बढ़ जाती है और ये सब होता है एक जरा सी लापरवाही के चलते.
मिल्क फीवर के लक्षण
- भैंस का स्वास्थ्य कमजोर पड़ने लगता है.
- कमजोरी के कारण भैंस को खड़े होने पर परेशानी होती है.
- भैंस का शरीर ठंडा पड़ जाता है और भैंस अपनी गर्दन को कोख के ऊपर रख लेती है.
- भैंस जुगाली करना बंद कर देती है.
- बीमारी के कारण पाचन तंत्र भी खराब हो जाता है.
- भैंस को कंपकपी महसूस होती है और बेहोशी छायी रहती है.
मिल्क फीवर से बचाव के उपाय
- इस बीमारी से भैंस का बचाव करने के लिए पशु चिकित्सक से संपर्क करें.
- डॉक्टर की सलाह पर कैल्शियम की बोतल लगवानी चाहिए.
- बीमारी की रोकथाम के लिए भैंस को मिनरल सॉल्ट खिलाएं.
- ब्याने के 2-3 दिन बाद तक सारा दूध एक साथ न निकालें, दूध थनों में भी छोड़ते रहें.