नई दिल्ली

गांवों में विकास कार्य नहीं कराने वाले सरपंचो पर अब गिरेगी गाज, विभाग ने तैयार की पूरी लिस्ट

नई दिल्ली :- भारत में पंचायत व्यवस्था के तहत ग्राम पंचायतें गांवों के विकास की जिम्मेदारी संभालती हैं. शासन की योजनाओं को लागू करने और गांवों तक पहुंचाने में ये पंचायतें अहम भूमिका निभाती हैं. लेकिन हाल के दिनों में ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने शिकायत की है कि सरकार के टाइड और अनटाइड फंड के नियमों के कारण वे विकास कार्यों को पूरा करने में असमर्थ हैं. इन नियमों के चलते कई गांवों में जरूरी निर्माण कार्य और रोजगार सृजन प्रभावित हो रहे हैं. सरकार ग्राम पंचायतों को उनके क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दो प्रकार के फंड देती है: टाइड फंड और अनटाइड फंड.

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टाइड फंड: इसे बंधा हुआ अनुदान कहा जाता है. इसका उपयोग केवल निर्धारित कार्यों, जैसे पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता से जुड़े प्रोजेक्ट्स के लिए किया जा सकता है.

अनटाइड फंड:

इसे मूल अनुदान कहा जाता है. इस फंड का इस्तेमाल बुनियादी ढांचे, जैसे सड़क निर्माण, सभा मंच निर्माण, और अन्य विकास कार्यों के लिए किया जाता है.

फंड का असंतुलित अनुपात

सरपंचों का कहना है कि फंड का असंतुलित वितरण उनकी समस्याओं का मुख्य कारण है. बालाघाट जिले के सरपंचों ने आरोप लगाया है कि 60% बजट टाइड फंड के रूप में निर्धारित है, जिसे केवल सीमित कार्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है. दूसरी ओर, अनटाइड फंड, जो अन्य विकास कार्यों के लिए है, केवल 40% है. इस कारण सड़क निर्माण और अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स अटक रहे हैं. ग्राम पंचायत आंजनबिहरी के सरपंच दीपक पुष्पतोड़े ने कहा कि टाइड और अनटाइड फंड के अनुपात ने विकास कार्यों पर रोक लगा दी है. जब गांव वाले हमसे पूछते हैं कि सड़क या अन्य निर्माण कार्य क्यों नहीं हो रहे, तो हमारे पास कोई जवाब नहीं होता.

गांवों का विकास क्यों रुका?

सरपंचों के अनुसार, टाइड और अनटाइड नियमों के कारण बजट होने के बावजूद विकास कार्य ठप पड़े हैं. ग्राम पंचायत बड़पानी के सरपंच दीपक गभने ने बताया कि अनटाइड फंड में कमी के कारण सड़क, खेत सड़क योजना, और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाएं पूरी नहीं हो पा रही हैं. इन परियोजनाओं के रुकने से रोजगार के अवसर भी प्रभावित हो रहे हैं. गांवों के लोग इससे बेहद नाराज हैं.

नियमों में बदलाव की जरूरत

सरपंचों ने सरकार से अनुरोध किया है कि टाइड और अनटाइड फंड के अनुपात को बदला जाए. उनका सुझाव है कि दोनों फंडों का उपयोग अधिक लचीले तरीके से किया जाए, ताकि गांवों की प्राथमिकता के अनुसार विकास कार्य हो सकें.

शासन से कैसे मिलता है बजट?

सरकार ग्राम पंचायतों को उनकी जनसंख्या के आधार पर बजट आवंटित करती है. इस बजट का 60% हिस्सा टाइड फंड और 40% हिस्सा अनटाइड फंड होता है. यह अनुपात हर पंचायत के लिए समान नहीं होता, जिससे कुछ पंचायतों को अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

Author Deepika Bhardwaj

नमस्कार मेरा नाम दीपिका भारद्वाज है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर कंटेंट राइटर के रूप में काम कर रही हूं. मैंने कॉमर्स में मास्टर डिग्री की है. मेरा उद्देश्य है कि हरियाणा की प्रत्येक न्यूज़ आप लोगों तक जल्द से जल्द पहुंच जाए. मैं हमेशा प्रयास करती हूं कि खबर को सरल शब्दों में लिखूँ ताकि पाठकों को इसे समझने में कोई भी परेशानी न हो और उन्हें पूरी जानकारी प्राप्त हो. विशेषकर मैं जॉब से संबंधित खबरें आप लोगों तक पहुंचाती हूँ जिससे रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं.

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