फाइनेंस

अब बैंक चेक क्लियर करने में नहीं लगेगा ज्यादा टाइम, मात्र कुछ घंटों में बन जाएगा

नई दिल्ली :-  देश में सभी व्यक्ति अपनी पूंजी को भविष्य की जरुरतों (banking Rule) के लिए जमा करने के लिए बैंक का सहारा लेते है। बैंक लोगों को पूंजी जमा करने के लिए दो प्रकार के सेविंग और करंट खाते प्रदान करता है। पैसे को बैंक में जमा करवाने और निकलवाने के लिए बैंक कई प्रकार (banking facility) की सुविधा प्रदान करता है। लोग बैंक में पैसे जमा करवाने या निकलवाने के लिए सबसे ज्यादा चेक की सुविधा (Check service) का इस्तेमाल करते है। बैंक समय -समय (Banking Flexible rule) पर अपने नियमों में बदलाव करता है। बैंक सरकार एवं हाईकोर्ट के फैसलों के आधार पर भी अपने नियमों में बदलाव कर देता है।

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3 महीने तक बैंक भेजता है नोटिस

चेक बाउंस (check Bounce case) होने की स्थिति में बैंक शुरुआत में कोई कार्रवाई नहीं करता है। बैंक चेक बाउंस होने पर ग्राहक को तीन महीने तक नोटिस (check Bounce Notice) भेजता है। तीन महीने तक नोटिस का जवाब नहीं देने पर बैंक ग्राहक के खिलाफ अदालत में मुकदमा दाखिल करता है। अदालती कार्रवाई के बाद ग्राहक पर जुर्माने और सजा का प्रावधान होता है।

चेक बाउंस पर कोर्ट का नया फैसला

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेक बाउंस (check Bounce New rule) पर नया फैसला सुनाया है। कोर्ट ने चेक बाउंस के एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि जिन बैंकों का किसी अन्य बैंक में विलय हो चुका है, उनके चेक का अनादर (check Bounce Court decision) होने पर एनआई एक्ट की धारा 138 (NIT ACT) के तहत अपराध गठित नहीं होगा। ऐसे मामलों में ग्राहक पर कोई मुकदमा नहीं दायर होगा। इंडियन बैंक में विलय हो चुके चेक के अनादर के मामले में बांदा की अर्चना सिंह गौतम की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने दिया है।

बैंक ने अमान्य करार देते हुए लौटाया चेक

पिछले साल इंडियन बैंक (Indian bank check Issue) में एक ग्राहक ने वित्तीय लेनदेन के लिए एक चेक जारी किया था। बैंक ने चेक पर कार्रवाई करते हुए उसे अमान्य करार दे दिया। जिस पर विपक्षी ने याची के खिलाफ 138 एन आई एक्ट (138 NIT Act) के तहत चेक बाउंस का परिवाद कायम करा दिया। कोर्ट द्वारा जारी समन आदेश को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

अमान्य चेक नहीं होगा अपराध गठित

कोर्ट ने इस मामले की सुनावई करते हुए कहा कि एन आई एक्ट की धारा 138 के अनुसार यदि अमान्य चेक (invalid check) बैंक में प्रस्तुत करने पर बैंक द्वारा अस्वीकार किया जाता है तो धारा 138 का अपराध गठित नहीं होता है। इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में 1 अप्रैल 2020 को विलय हुआ तथा इसके चेक 30 सितंबर 2021 तक मान्य थे।  इसके बाद प्रस्तुत किया गया चेक यदि बैंक अमान्य करता (invalid check Rule) है तो चेक बाउंस का केस नहीं बनता है। कोर्ट ने कहा कि एन आई एक्ट के अनुसार जारी किया गया चेक वैध होना चाहिए तभी उसके बाउंस होने पर अपराध गठित होता है।

Author Deepika Bhardwaj

नमस्कार मेरा नाम दीपिका भारद्वाज है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर कंटेंट राइटर के रूप में काम कर रही हूं. मैंने कॉमर्स में मास्टर डिग्री की है. मेरा उद्देश्य है कि हरियाणा की प्रत्येक न्यूज़ आप लोगों तक जल्द से जल्द पहुंच जाए. मैं हमेशा प्रयास करती हूं कि खबर को सरल शब्दों में लिखूँ ताकि पाठकों को इसे समझने में कोई भी परेशानी न हो और उन्हें पूरी जानकारी प्राप्त हो. विशेषकर मैं जॉब से संबंधित खबरें आप लोगों तक पहुंचाती हूँ जिससे रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं.

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