अब एक बार में कटेगा आने- जाने का टोल, हाईवे पर टोल के लिए बनाया जा रहा है ये बड़ा प्लान
नई दिल्ली :- भारत में हाईवे पर सफर करने वाले लोगों के लिए टोल प्लाजा एक आम नजारा है, लेकिन अब एक नई व्यवस्था की चर्चा हो रही है जिससे हाईवे पर से टोल प्लाजा हटाए जा सकते हैं। सरकार डिजिटल टेक्नोलॉजी के ज़रिए टोल वसूली को और स्मार्ट और पारदर्शी बनाने पर काम कर रही है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह नया सिस्टम क्या है और इससे आम जनता को क्या फायदे होंगे।
नई टोल वसूली व्यवस्था कैसी होगी?
सरकार की योजना है कि हाईवे से टोल प्लाजा हटाकर एक ऑटोमैटिक और एडवांस सिस्टम से टोल कलेक्शन किया जाए। यह सिस्टम जीपीएस (GPS) और नंबर प्लेट रीडिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा।
- जीपीएस आधारित टोल वसूली – अब गाड़ी में लगे जीपीएस ट्रैकर के ज़रिए टोल अपने-आप कटेगा।
- ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडिंग (ANPR) – कैमरा गाड़ी की नंबर प्लेट स्कैन करेगा और उसके आधार पर टोल कट जाएगा।
- टोल प्लाजा हटाने की योजना – हाईवे पर रुकने की जरूरत नहीं होगी, जिससे ट्रैफिक की समस्या कम होगी।
- रियल-टाइम पेमेंट अपडेट – टोल कटने का मैसेज तुरंत आपके मोबाइल पर आ जाएगा।
GPS आधारित टोल प्रणाली कैसे काम करेगी?
इस नई प्रणाली के तहत हर वाहन में एक GPS डिवाइस होगा, जिससे उसकी लोकेशन ट्रैक होगी। जैसे ही वाहन किसी टोल पॉइंट से गुजरेगा, उस रूट के हिसाब से सीधे वाहन मालिक के बैंक खाते से पैसा कट जाएगा।
- बिना रुके टोल पेमेंट
- सफर के अनुसार ही टोल कटेगा, यानी जितनी दूरी तय करेंगे उतना ही भुगतान
- ओवरचार्जिंग की समस्या खत्म
- ट्रैफिक जाम से राहत
उदाहरण:
अगर कोई व्यक्ति दिल्ली से लखनऊ जा रहा है और उसे मिड-वे में किसी कारणवश यात्रा रोकनी पड़ती है, तो उसे पूरे सफर का टोल देने की जरूरत नहीं होगी। अभी के सिस्टम में, चाहे आप हाईवे का आधा हिस्सा भी यूज़ करें, तो भी आपको पूरे टोल का भुगतान करना पड़ता है। लेकिन जीपीएस आधारित सिस्टम में ऐसा नहीं होगा।
इस बदलाव से आम जनता को क्या फायदे होंगे?
नई टोल व्यवस्था से यात्रियों को कई लाभ होंगे:
बिना रुकावट सफर
- टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों से छुटकारा मिलेगा।
- पेट्रोल और डीजल की बचत होगी।
पारदर्शी टोल सिस्टम
- फास्टैग की तरह बैलेंस खत्म होने का झंझट नहीं रहेगा।
- हर टोल कटने का रियल-टाइम मैसेज मिलेगा।
कम खर्च और बेहतर सुविधा
- हर वाहन का टोल उसके सफर की दूरी के हिसाब से ही कटेगा।
- बेवजह एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना पड़ेगा।
मौजूदा फास्टैग सिस्टम बनाम नया टोल सिस्टम
विशेषता | मौजूदा फास्टैग सिस्टम | नया जीपीएस आधारित टोल सिस्टम |
---|---|---|
टोल कटने का तरीका | RFID टैग स्कैन से | जीपीएस ट्रैकिंग और ANPR कैमरा |
भुगतान | प्रीपेड बैलेंस से | बैंक खाते/UPI से डायरेक्ट |
टोल प्लाजा | जरूरी | हटाने की योजना |
ट्रैफिक की समस्या | लंबी लाइनें लगती हैं | पूरी तरह से ऑटोमैटिक |
सरकार का रोडमैप और मौजूदा अपडेट
सरकार ने इस नई टोल प्रणाली को लागू करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। 2023 में कुछ हाईवे पर इसका टेस्ट रन किया गया था, और 2025 तक इसे पूरी तरह से लागू करने की योजना है।
सरकार की योजना के अनुसार:
- फेज-1: चुनिंदा नेशनल हाईवे पर GPS आधारित टोल लागू किया जाएगा।
- फेज-2: सभी वाहनों के नंबर प्लेट को हाईटेक ANPR सिस्टम से लिंक किया जाएगा।
- फेज-3: पूरे देश में टोल प्लाजा हटाकर नई प्रणाली को 100% लागू किया जाएगा।
इस सिस्टम को पूरी तरह लागू करने में कम से कम 3-4 साल लग सकते हैं।
आम जनता के मन में उठने वाले सवाल
1.फास्टैग की क्या जरूरत रहेगी?
फास्टैग धीरे-धीरे पुराना हो जाएगा, लेकिन पूरी तरह से खत्म करने में कुछ साल लगेंगे।
2.क्या हर गाड़ी में GPS डिवाइस लगाना होगा?
हाँ, सभी कॉमर्शियल और निजी वाहनों में यह अनिवार्य किया जाएगा।
3.क्या टोल शुल्क कम होगा?
इससे टोल का तरीका पारदर्शी बनेगा, लेकिन शुल्क में कमी होगी या नहीं, यह सरकार की नीति पर निर्भर करेगा।
4.पुराने वाहनों के लिए क्या प्रक्रिया होगी?
पुरानी गाड़ियों में GPS ट्रैकर और हाईटेक नंबर प्लेट लगाना जरूरी होगा। सरकार इसके लिए योजना बना रही है।
यह बदलाव कितना कारगर होगा?
नई टोल वसूली व्यवस्था निश्चित रूप से हाईवे ट्रैफिक को सुगम बनाएगी और लोगों के समय और ईंधन की बचत करेगी। हालांकि, इसे पूरी तरह से लागू करने में कई चुनौतियाँ होंगी, जैसे कि पुरानी गाड़ियों में नई टेक्नोलॉजी इंस्टॉल करना, साइबर सिक्योरिटी सुनिश्चित करना और सही तरीके से टोल गणना करना। फिलहाल, यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के तहत है, लेकिन आने वाले वर्षों में हाईवे से टोल प्लाजा हटना संभव हो सकता है। यह एक डिजिटल इंडिया की ओर बड़ा कदम साबित हो सकता है! आप इस नई टोल प्रणाली के बारे में क्या सोचते हैं? क्या यह भारत में सफल हो पाएगी? अपने विचार कमेंट में बताएं!