इटली को पछाड़कर पानीपत बना रंगीन धागों में बादशाह, प्रतिदिन हो रहा है 35 लाख Kg धागो का उत्पादन
पानीपत :- टेक्सटाइल के बाद अब हरियाणा के पानीपत शहर के धागे भी विश्व में अपना परचम लहरा रहे हैं. बता दे कि हरियाणा के पानीपत ने इस मामले में अब इटली को भी पछाड़ दिया है. रंगीन धागा बनाने में पानीपत अब इटली को पछाड़कर दुनिया में नंबर वन बन गया है. यहां 135 उद्योगों में प्रतिदिन 35 लाख किलोग्राम धागे का उत्पादन किया जा रहा है, वहीं इटली 20 लाख किलोग्राम उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर विराजमान है.
औद्योगिक नगरी में लगाई गई 510 नई मशीनें
पानीपत के धागे की खास बात यह है कि उद्यमी पानी का इस्तेमाल किए बिना जर्मनी में बनी अत्याधुनिक मशीनों से उत्पादन कर रहे है. इससे हर रोज करोड़ों लीटर पानी बच रहा है औद्योगिक नगरी में ऐसी 510 मशीनें लगाई गई है, जिन्होंने धागा उद्योग में क्रांति का संचार किया है. एक नई मशीन पुरानी तीन मशीनों के बराबर है. इसकी उत्पाद गुणवत्ता भी पुरानी मशीनों से दुगनी अच्छी है. नई मशीनों के इस्तेमाल से पानीपत में प्रदूषण को भी नियंत्रण करने में सहायता मिली है. पानीपत में कुल 16000 करोड रुपए का निर्यात होता है, जिसमें धागा व्यापार का सबसे बड़ा योगदान है.
इटली को पछाड़कर पानीपत बना नंबर वन
उत्तर भारत रोटर्स स्पिनर्स एसोसिएशन के प्रधान प्रीतम सचदेवा ने बताया कि रंगीन धागे के उत्पादन में पानीपत में कीर्तिमान स्थापित करते हुए इटली को भी पीछे छोड़ दिया है. यह उद्यमियों के लिए नहीं, बल्कि देश के लिए भी गौरव की बात है. पानीपत में बिना पानी का इस्तेमाल किए ही रंगीन धागों का उत्पादन किया जा रहा है, जो हर रोज 3500000 किलोग्राम के आसपास है, यह विश्व में सबसे ज्यादा है. यह जर्मनी की अत्याधुनिक मशीनों की सहायता से संभव हो पाया है.
नई मशीनों के धागे की गुणवत्ता भी बढ़िया
अत्याधुनिक जर्मन मशीनों के इस्तेमाल से 3 साल में धागे का उत्पादन बढ़कर दोगुना से भी अधिक हो गया है. इसकी गुणवत्ता भी दूसरे देश के धागों की तुलना में काफी बढ़िया है. पानीपत के धागे का घरेलू बाजार के साथ दुनिया में कई देशों में निर्यात हो रहा है. 60 से अधिक देशों में यहां के धागे का इस्तेमाल होता है. सबसे अधिक खपत यूरोप में होती है, पानीपत के धागों से महंगी टी-शर्ट बनाई जा रही है. कंबल उद्योग भी अब धागे उत्पादन में कदम रख रहे हैं.