Parle G Success Story: दर्जी ने खड़ी कर दी करोड़ो रुपए की कंपनी, जाने कैसे सबसे सस्ता पारले – जी बना दुनिया का चहिता
नई दिल्ली, Parle G Success Story :- जब भी बिस्किट की बात होती है तो सबके दिमाग में सबसे पहले पारले – जी का ही नाम आता है. यह बिस्किट देश के बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी की पसंद है. अमीर से लेकर गरीबों तक सभी इस बिस्कुट के दीवाने हैं. परंतु क्या आप जानते हैं परले-ग बिस्किट की शुरुआत कब और कैसे हुई थी.
दर्जी ने शुरू की कंपनी
साल 1900 में एक 12 वर्षीय लड़का गुजरात के वलसाड से मुंबई आया. यहां पेट भरने के लिए उसने दर्जी की दुकान पर काम शुरू किया तथा बाद में सिलाई कढ़ाई का काम करने लगा. आगे चलकर इस लड़के का काम अच्छा चल गया तथा उसने अपनी खुद की दुकान शुरू की. कुछ साल बाद उसने मोहनलाल एंड कंपनी तैयार कर ली. उस लड़के का नाम मोहनलाल दयाल चौहान था, जिन्होंने आगे चलकर पारले जी की शुरुआत की.
यहां से आया बिस्किट का आईडिया
मोहनलाल ने महसूस किया कि देश की एक बड़ी आबादी गरीब है जो महंगी ब्रांड के बिस्किट नहीं खरीद सकती है. इसलिए उन्होंने देसी तथा सस्ता बिस्कुट बनाने का निर्णय लिया, जिसे अंग्रेज नहीं बल्कि भारतीय भी खा सके. इसके लिए उन्होंने जर्मनी जाकर बिस्किट बनाना सिखा तो तथा फिर 60,000 रुपए में मशीन खरीदी. साल 1920 में उन्होंने पार्ले ग्लू की नींव रखी. उनके पांच बेटे मानिक लाल पीतांबर नरोत्तम क्रांति लाल तथा जयंतीलाल परले के फाउंडर बने.
रास्ते में आई मुसीबते
साल 2011 में पारले-जी कम कीमत और अपने बढ़िया स्वाद के कारण दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्कुट बन गया था . हालांकि, पारले जी की सफलता में इसे कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा. आजादी के बाद जब काल पड़ने से गेहूं की कीमत ज्यादा हुई तो कंपनी ने गेहूं के बजाय जो से बिस्किट बनाना शुरू किया. जब पारले-जी की सेल में गिरावट होने लगी तो पार्ले ने विज्ञापन में नजर आने वाली पार्ले गर्ल का सहारा लिया.
केवल एक रुपए बढ़ाया दाम
जानकारी के लिए आपको बता दे की पारले – जी की कीमत उसकी सबसे बड़ी ताकत है. कंपनी ने पिछले 30 साल में सिर्फ एक बार बिस्कुट की कीमत में 1 रुपए की बढ़ोतरी की थी. साल 1994 में कंपनी ने पारले जी के छोटे पैकेट की कीमत 4 से बढ़कर 5 रुपए कर दी थी. आज भी पारले जी 5 रुपए में ही मिलता है
ऐसे काम रही कंपनी मुनाफा
माना की परले – जी बिस्किट ने अपने दाम नहीं बढ़ाए हैं, परंतु पारले-जी अपनी क्वांटिटी में लगातार कटौती की किया जा रहा है. जानकारी के लिए आपको बता दे की सबसे पहले पारले-जी का जो पैकेट आता था वह 100 ग्राम का होता था परंतु अब कंपनी ने छोटा करते – करते पैकेट के वजन को 45 फ़ीसदी तक काम कर दिया है. जिस कंपनी की नींव कभी एक दर्जी ने रखी थी, आज वह दुनिया की सबसे ज्यादा बिस्किट बेचने वाली कंपनी बन चुकी है. फोर्ब्स 2022 के आंकड़ों के मुताबिक विजय चौहान और उनके परिवार की नेटवर्क 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 45,579 करोड रुपए है.