Rajasthan News: 50, 100 नहीं… इस परिवार में रहते है 184 लोग साथ, एक दिन में बनती है 50 किलो सब्जी
अजमेर, राजस्थान :- आजकल परिवार का एकजुट होकर रहना बहुत बड़ी बात है. बड़े बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में जाते हुए देखना आजकल आम बात हो गई है. लेकिन आज एक ऐसे परिवार के बारे में आपको बताएंगे जिसके बारे में जानकर आप हैरान होने पर मजबूर हो जाएंगे. राजस्थान में वर्तमान में एक ऐसा संयुक्त परिवार जीवन बसर कर रहा है जिसमें 184 लोग एकजुट होकर रहते हैं. अपने Lifestyle को इन लोगों ने बहुत बढ़िया तरीके से Manage किया हुआ है.
50 किलो आटा और 50 किलो सब्जी की होती है खपत
भोजन तैयार करने के लिए रोजाना 50 किलो आटा और 50 किलो सब्जी की खपत होती है. परिवार की महिलाओं ने अपने कामों को बांटा हुआ है ताकि आपस में तकरार होने की कोई वजह ना हो. यह परिवार राजस्थान के अजमेर जिले में रामसर में रहता है. इस परिवार में कुल 184 लोग मिलकर एक साथ रहते हैं.
किस तरह होता है परिवार का जीवन यापन
परिवार के बुजुर्ग विरदीचंद का कहना है कि उनके पिता सुल्तान के 6 बेटे थे. उसके बाद धीरे-धीरे उनका परिवार बढ़ता गया और 184 लोगों तक पहुंच गया. परिवार के सबसे छोटे बच्चे का जन्म 5 महीने पहले ही हुआ है. पिता ने मृत्यु से पहले परिवार को हमेशा एक साथ रहने की सलाह दी थी. तब से ही परिवार एकजुट होकर रहता है. विरदीचंद ने बताया कि परिवार के बुजुर्ग खुद अनपढ़ होने के बावजूद आज की पीढ़ी की शिक्षा को पूरा करने में विश्वास रखते हैं. परिवार में 2 लोग शिक्षक हैं और 2 लोग कंपाउंडर हैं. बाकी कुछ सदस्य प्राइवेट नौकरी करते हैं.
परिवार की महिलाओं ने बांटा हुआ है आपस में काम
विरदीचंद ने बताया कि परिवार में महिलाएं सुबह 4 बजे उठकर खाना बनाना शुरू कर देते हैं. एक ही समय पर 25 किलो सब्जी 2 चूल्हों पर बनाई जाती है. सब्जी के साथ 25 किलो आटे की रोटियां 11 चूल्हों पर बनती है. पहले परिवार का जीवनयापन मुख्य तौर पर खेती से होता था. परिवार की खुद की लगभग 500 बीघा जमीन है जिस पर खेती होती है. लेकिन जैसे-जैसे परिवार बढ़ता गया सदस्यों ने दूसरे व्यवसाय तलाशने शुरू कर दिए. फिलहाल परिवार के पास 100 से ज्यादा दुधारू गाय हैं जिनका दूध बेचकर, मुर्गी पालन करके और किसानी से जीवन यापन हो रहा है.
परिवार में तकरार ना होने का यह है कारण
परिवार की बुजुर्ग महिला राधा से पता चला है कि उनके परिवार की सारी बुजुर्ग महिलाओं के द्वारा सुबह शाम का भोजन तैयार किया जाता है. उनके परिवार की बहू और बेटियों को खेती-बाड़ी और गाय भैंसों के दूध निकालने का काम सौंपा हुआ है. सारे काम आसानी से हो जाए इस वजह से होने अपने काम बाटें हुए हैं जिसके वजह से परिवार में कभी कोई लड़ाई नहीं होती.
क्यों नहीं हुई परिवार में आर्थिक समस्या
परिवार के मजदूर जल्दी चंदू से पता चला है कि उनके बड़े भाई भागचंद खेती-बाड़ी, पट्टी की टाल और बाकी आय के साधनों से होने वाली इनकम का हिसाब किताब संभालते हैं. इसके अलावा वह जमीन में अपने पैसे को निवेश करते हैं जिसकी वजह से परिवार को कभी आर्थिक संकट से जूझना नहीं पड़ता.
सरपंच बनकर बहु ने किया गाँव का विकास
बता दें कि इस माली परिवार की एक बहू गांव की सरपंच भी है. परिवार की यह बहू 2016 में हुए पंचायत चुनाव में 800 वोटों से जीती थी. बहु ने सरपंच बनकर गांव में काफी विकास कार्य करवाए हैं. पहले गांव के रास्तों पर शाम होने पर काफी अंधेरा हो जाता था. लेकिन अब सरपंच बहु ने सम्पूर्ण गांव में स्ट्रीट लाइटिंग की व्यवस्था कर दी. इसके साथ भी काफी सारे विकास कार्य करवाए .