बैंक में ज्यादा पैसे जमा करने वालो को RBI का बड़ा झटका, अब मिलेंगे सिर्फ पांच लाख रुपये
नई दिल्ली :- यह पहली बार नहीं है जब आरबीआई ने बैंक के खिलाफ ऐसे निर्देश दिए हैं। इससे पहले पीएमसी बैंक और यस बैंक पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे। भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने आदेश में कहा, न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के जमाधारक 13 फरवरी से बैंक खातों से पैसे नहीं निकाल सकते हैं। बैंक की वर्तमान बिगड़ती तरलता स्थिति के कारण धन की निकासी को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। केंद्रीय बैंक के मौजूदा निर्देश के अनुसार या अगले आदेश तक प्रतिबंध छह महीने तक जारी रह सकते हैं। इससे बैंक के जमाधारकों को अब बैंक में रखी रकम सहित अपनी जमा राशि निकालने के लिए आरबीआई के अगले निर्देशों का इंतजार करना होगा। जमा निकासी पर प्रतिबंध स्थायी नहीं है।
भारतीय बैंकों में सभी रकम डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) के तहत प्रति ग्राहक 5 लाख रुपये तक का जमा बीमा कवर होता है और इतनी ही रकम आपको मिलती है। भले ही जमा 10 लाख हो, या 20 लाख या एक करोड़। अगर किसी का जमा एक लाख है तो उसे एक लाख रुपये पूरे मिल जाएंगे। 5 लाख जमा है तो पांच लाख मिलेंगे। उससे ज्यादा जमा है तो भी पांच लाख रुपये ही मिलेंगे। हालांकि, अगर आपका जमा कई बैंकों में है और सारे बैंक डूबते हैं तो फिर हर बैंक पांच लाख रुपये देगा। लेकिन एक ही बैंक में कई खाते हैं तो कुल मिलाकर भी पांच लाख रुपये ही मिलेंगे। जारी मौजूदा निर्देशों के अनुसार, जमाकर्ताओं को रकम पाने के लिए छह महीने तक इंतजार करना होगा।
डीआईसीजीसी की वेबसाइट पर देख सकते हैं पूरा विवरण
जमाकर्ता अधिक जानकारी के लिए बैंक अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। विवरण डीआईसीजीसी की वेबसाइट: www.dicgc.org.in पर भी देखा जा सकता है। आप पैसा निकालना चाहते हैं तो इसका बैंक सत्यापन करता है। सब कुछ सही पाया गया तो रकम वापस मिलती है। आरबीआई किसी भी बैंक पर तब प्रतिबंध लगाता है, जब बैंक की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं हो, या बैंक प्रबंधन कुछ घोटाला कर रहा हो। न्यू इंडिया सहकारी बैंक में घोटाला हुआ था। इसका पता चलने पर केंद्रीय बैंक ने तुरंत पूरे बैंक के प्रशासनिक अधिकार अपने हाथ में ले लिया और एसबीआई के एक पूर्व अधिकारी को प्रभार सौंप दिया।
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लाइसेंस रद्द या बंद नहीं होते ऐसे वित्तीय संस्थान
बीमा के तहत रकम कब मिलेगी
- यदि कोई बैंक परिसमापन (लिक्विडेशन) में चला जाता है तो दावा सूची प्राप्त होने की तारीख से दो महीने के भीतर लिक्विडेटर प्रत्येक जमाकर्ता की 5 लाख रुपये तक की दावा राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।
- यदि किसी बैंक का किसी अन्य बैंक के साथ विलय हो जाता है तो डीआईसीजीसी संबंधित बैंक को जमा की पूरी राशि या उस समय लागू बीमा कवर की सीमा, जो भी कम हो और बीमाकृत बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से दावा सूची प्राप्त होने की तारीख से दो महीने के भीतर भुगतान करता है।