Senior Citizen Act: बूढ़े मां-बाप को सताने वालों के लिए आ रहा नया कानून, हर थाने में लगेगी लिस्ट
नई दिल्ली, Senior Citizen Act :- मां बाप अपने बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए ना जाने कितने संघर्ष करते हैं लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो वही मां-बाप उनके लिए बोझ बन जाते हैं. अब बुजुर्गों को राहत देने के लिए इससे संबंधित विधेयक संसद के मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है.
16 साल बाद कानून में हो सकता है बदलाव
माता-पिता और बुजुर्गों के भरण-पोषण से संबंधित कानून जो वर्तमान में प्रभावी है यह 2007 में बना था. अब 16 साल के बाद इसे परिवर्तित किया जा सकता है. कहा जा रहा है कि इससे जुड़ा विधेयक ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (MWPSC) संशोधन विधेयक’ संसद के मॉनसून सत्र में पेश किया जा सकता है. आइए समझने का प्रयास करते हैं कि इस बिल से बुजुर्गों को कितना लाभ होगा.
जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में होगा लागू
इस बिल में परिजनों द्वारा बुजुर्गों और माता-पिता को छोड़ने,उनके साथ मारपीट इत्यादि से बचाव का प्रावधान किया गया है. जम्मू-कश्मीर को छोड़कर यह पूरे देश में प्रभावी होगा. हालांकि यह कानून हिमाचल प्रदेश में पहले से ही लागू है. इस कानून की विशेषता यह है कि प्रस्तावित कानून देश के बाहर रहने वाले लोगों के लिए भी प्रभावी होगा. बिल में प्रावधान किया गया है कि बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए Special पुलिस सेल बनाने और हर थाने में एक ASI रैंक के Nodel अधिकारी की नियुक्ति की जाए. प्रस्तावित बिल में कहा जा रहा है कि जो बुजुर्ग अकेले रहते हैं उनकी List बनाई जाए.
बुजुर्गों की शिकायतों को दूर करने के लिए गठित किया जाएगा ट्राइब्यूनल
सभी राज्यों में बुजुर्गों की सहायता के लिए 24 घंटे की हेल्पलाइन तैयार की जानी चाहिए. आजकल घर में अकेले रहने वाले बुजुर्गों से संपत्ति हड़पने के मामले काफी देखे जा रहे हैं ऐसे में बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए कुछ फैसले लिए जाने चाहिए. MWPSC क़ानून में प्रावधान है कि राज्य के हर जिले में बुजुर्गों की शिकायतों को दूर करने के लिए Tribunal गठित किया जाएगा. विशेषकर यह उनके लिए होगा जिन्हें परिवारवाले उन्हें ठीक से खाना, रहने के लिए घर, कपड़े या दवाएं आदि नहीं देते हैं.
90 दिनों के अंदर होगा शिकायतों का समाधान
ट्राइब्यूनल में 90 दिन के अंदर शिकायतों को हल किया जाएगा. घर से ठुकराए गए बुजुर्ग या वरिष्ठ नागरिक ट्राइब्यूनल जाकर Complaint कर पाएंगे और उनके बच्चों या कानूनी उत्तराधिकारी को इससे संबंधित आदेश दिए जा सकेंगे. ध्यान देने वाली बात यह है कि जो भी व्यक्ति अपने माता-पिता (बायोलॉजिक, गोद लेने वाले और सौतेले मां-बाप) या बुजुर्ग जो 60 साल से ज्यादा उम्र के है, को छोड़ने या उनकी देखरेख न करने में दोषी मिलता है तो उसे तीन महीने की जेल या 5,000 रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ सकता है. इस संशोधन में एक Clause शामिल किया गया है कि बुजुर्गों का Caretaker अपने माता-पिता या बुजुर्ग से सलाह किये बिना संपत्ति नहीं बेच सकता है.