Sher Singh Rana Biography in Hindi: पृथ्वीराज चौहान की अस्थियों को 800 साल बाद भारत वापस लाए थे शेर सिंह राणा, जानिये भारत के इस शेर की कहानी
Uttarakhand , Sher Singh Rana Biography in Hindi :- भारतीय राजनीति में जब फूलन देवी डाकू से सांसद बनी थी, उस समय शेर सिंह राणा काफी चर्चाओं में थे. आज की इस खबर में हम आपको बताएंगे कि पंकज सिंह पुंडीर नाम का व्यक्ति शेर सिंह राणा के नाम से कैसे फेमस हुआ और कैसे वह आज लोगों की नजरों में एक भारतीय अपराधी से राजनेता बन गए हैं. आज की इस खबर में हम आपको शेर सिंह राणा के जीवन से जुड़ी हुई तमाम तरह की घटनाओं की जानकारी देंगे.
Sher Singh Rana Birth
पंकज सिंह पुंडीर यानि शेर सिंह राणा का जन्म 17 मई 1976 को रूडकी Uttrakhand में हुआ. शेर सिंह राणा एक भारतीय राजनीतिज्ञ है, जिनके बचपन का नाम पंकज सिंह है. डाकू फूलन देवी की हत्या और सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां अफगानिस्तान से लाने वाले एक दमदार भारतीय राजपूत की छवि वाले शेर सिंह राणा राष्ट्रीय जन लोक पार्टी के संस्थापक है.
Sher Singh Rana Biography in Hindi
- Sher Singh Rana Real Name : Pankaj Singh Pundir
- Sher Singh Rana Birthplace : Roorkee Uttarakhand
- Sher Singh Rana Nickname : S Rana
- Sher Singh Rana Profession : Politician
- Sher Singh Rana party Name : RJP ( राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी )
- Sher Singh Rana Father’s Name : Surendra Rana
- Sher Singh Rana wife’s Name : Pratima Singh
- Sher Singh Rana Brothers Name : Vijay Rana
This is how Pankaj Singh became Sher Singh Rana
साल 1981 में फूलन देवी ने कानपुर के एक गांव में पहुंचकर अपने साथियों के साथ मिलकर 22 लोगों को मार दिया था. इस हत्याकांड के बाद फूलन देवी समाजवादी पार्टी से सांसद भी बन गई. दिल्ली के अशोक रोड पर तत्कालीन समाजवादी पार्टी सांसद फूलन देवी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. अचानक 2 दिनों के बाद देहरादून के एक शख्स शेर सिंह राणा इस मामले में सामने आते हैं और वह अपने आप को हत्या का दोषी बताते हुए आत्मसमर्पण कर देते हैं. वही ऐसा भी कहा जाता है कि जिन लोगों को फूलन देवी ने मारा था, उनमें से अधिकतर लोग ठाकुर थे. इसी वजह से बदले की भावना से शेर सिंह राणा ने फूलन देवी को मार दिया.
एक इंटरव्यू में यह सवाल Sher Singh Rana से पूछा गया तो उन्होंने साफ साफ मना कर दिया और कहा कि हत्या के समय फूलन देवी की बहन और एक अन्य आदमी मेरे साथ ऑफिस में मौजूद थे. उन सबको पता है कि मैंने हत्या नहीं की है. वही व्हाट्सएप वीडियो भी सबूत के तौर पर पेश किया गया, जिसमें उन्होंने माना कि उन्होंने ही हत्या की है.
Sher Singh Rana introduced his courage
वहीं इस दौरान भारत में एक दुर्घटना भी घटी. आतंकवादियों की तरफ से भारत का एक जहाज हाईजैक कर लिया गया और उसे सीधा कंधार ले जाया गया. इस घटना के बाद तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह वहां पहुंचे और वह वहां से लौटकर भारत आए, तो उन्होंने एक हकीकत से पर्दा उठाया. विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने बताया कि अफगानिस्तान में आज के समय में पृथ्वीराज जी की समाधि बनी हुई है. Prithviraj Chauhan जी ने गोरी को बहुत ही बुरी तरह मौत के घाट उतारा था, जिसके बाद चंद्रवरदाई और पृथ्वीराज चौहान ने एक दूसरे को मारकर वीरगति को प्राप्त हो गए, अर्थात् गौरी का वध होने के बाद चंद्र बधाई ने खुद को और पृथ्वीराज चौहान को खत्म कर लिया और वीरगति को प्राप्त हो गए थे. आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं
देश में वापस लाई पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां
इसके बाद गौरी के सैनिकों नें उनके शव को अफगानिस्तान ले जाकर इस्लामिक परंपरा के आधार पर जमीन में दफन कर दिया. यहां लगभग 800 साल से पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई की समाधि का लोग अपमान कर रहे थे. जब जसवंत सिंह ने यह सब अपनी आंखों से देखा, तो वह बेहद दुखी हो गए और उन्होंने यहां आकर मीडिया से बातचीत की. उन्होंने कहा कि किस प्रकार आज भी अफगानिस्तान में पृथ्वीराज चौहान की अस्थियों का अपमान किया जा रहा है. यह खबर सुनते ही देश भर में तेजी से यह मांग उठने लगी कि जल्द से जल्द पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां देश में वापस लाई जाए.
इस प्रकार यह खबरें अखबार के जरिए तिहाड़ जेल में बैठे शेर सिंह राणा तक भी जा पहुंची. खबरों को पढ़कर उन्हें काफी दुख हुआ. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि जेल में उन्हें ऐसी जगह पर रखा गया था, जहां उनके साथ बड़े-बड़े कैदी मौजूद थे. उनके साथ रह रहे एक अफगानी कैदी ने यह खबर सुनी और बोला हिंदुस्तान में आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह Afghanistan जाकर Prithviraj Chauhan जी की अस्थियां लेकर आ सके और हम अफगानी यहां पर आकर कुछ भी कर सकते हैं. यह सुनते ही शेर सिंह राणा ने उस अफगानी से कहा कि ना केवल मैं जेल से बाहर जाऊंगा, बल्कि अफगानिस्तान जाकर पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां भी भारत लेकर आऊंगा. यह बात सुनकर वहां खड़े सभी लोग हंसने लगे.
This is how Prithviraj Chauhan’s ashes were brought back
परंतु कुछ दिनों बाद सर्दियों के दिनों में कुछ लोग पुलिस के भेष में जेल पहुंचे और नकली वारंट के जरिए शेर सिंह राणा को लेकर वहां से गायब हो गए. 1 घंटे के बाद जेल प्रशासन को इस बारे में जानकारी मिली. जेल से भगाने के बाद रांची में उनका नकली पासपोर्ट बनवाया गया. वहां से वे कोलकाता पहुंचे और वीजा बनवा कर बांग्लादेश चले गए. यहीं पर उन्होंने फर्जी दस्तावेज बनवाएं. वहां पहुंचकर उन्होंने एक यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया. इसी दौरान उन्होंने बाहर रहते हुए अफगानिस्तान के लिए भी अपना वीजा बनवा लिया इसके बाद वह अफगानिस्तान काबुल और कंधार होते हुए सीधा गर्दी पहुंचे, जहां पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी की समाधि बनी हुई.
हालांकि इन सब में उन्हें लगभग 1 महीने का समय लग गया, क्योंकि उन्हें पृथ्वीराज की कब्र की सटीक लोकेशन नहीं मिल पा रही थी. पृथ्वीराज चौहान की कब्र कौन सी है. इस बात का पता उन्हें वहां जाकर ही लगा. वहां पहुंचकर उन्होंने अपने सामने पृथ्वीराज चौहान की समाधी का अपमान होते देखा और इस घटना को अपने कैमरे में कैद कर लिया. शेर सिंह राणा ने पृथ्वीराज चौहान के अवशेष भारत वापस लाने की योजना बना ली और रात्रि के समय में उन्होंने पृथ्वीराज चौहान की कब्र की खुदाई शुरू कर दी. यह सब उन्होंने अपने कैमरे में भी रिकॉर्ड किया, ताकि वह इस सत्यता का सबूत भारतीय मीडिया को भी दे पाए. इस प्रकार उन्होंने पृथ्वीराज चौहान की अस्थियों को वहां से निकाला और सम्मान पूर्वक भारत ले आए.
इस कार्य को करने में उन्हें शुरुआत से अंत तक तकरीबन 3 महीने तक का समय लगा. भारत लौटने पर उन्होंने गाजियाबाद के पिलखुआ वीर सपूत पृथ्वीराज चौहान का एक मंदिर बनवाया. जहां पर उन्होंने पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां रखी हुई है. बता दे कि अभी तक भी आधिकारिक तौर पर इन बातों की कोई भी पुष्टि नहीं हुई है, परंतु जिन भी लोगों ने इस कहानी को सुना है उन सभी ने अपने आपको गौरवान्वित महसूस किया है. साल 2006 में पुलिस अधिकारियों ने शेर सिंह राणा को कोलकाता के गेस्ट हाउस से अपनी हिरासत में ले लिया था, उनको फिर से तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया. जेल में रहने के दौरान उन्होंने अपनी एक पुस्तक भी लिखी जिसका नाम जेल डायरी है.
Prithviraj Chauhan’s temple was built here
14 अगस्त 2014 को उन्हें आजीवन कारावास और ₹100000 के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी, हालांकि तब तक लोगों ने शेर सिंह राणा को एक हत्यारे के रूप में देखना बंद कर दिया था और हिंदू क्षत्रिय सेना ने भी प्रयासों को काफी सराहा था. उसके बाद शेर सिंह राणा को अंतरिम जमानत दे दी गई. उन्होंने अपनी मां की सहायता से पृथ्वीराज चौहान के लिए एक मंदिर बनवाया और वहां पर राजा के अवशेषों को रखा. 2012 में शेर सिंह राणा ने राष्ट्रवादी जन लोक पार्टी नामक अपनी पार्टी भी बनाई और चुनाव लड़ा, परंतु वह जीत हासिल नहीं कर पाए. उन्होंने 28 फरवरी 2018 को प्रतिमा सिंह से शादी कर ली. उन्होंने जेल में एक डायरी भी लिखी, जिसका इस्तेमाल एक फिल्म के लिए किया गया. उन्हें जेल से भागने और फूलन देवी की हत्या के बारे में इस डायरी में जिक्र किया. शेर सिंह राणा ने गजनी से हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के अवशेषों को वापस लाने के लिए अफगानिस्तान की यात्रा करने का दावा किया. साथ ही उन्होंने इसका एक वीडियो भी यूट्यूब पर अपलोड किया,लेकिन उसके बाद भी पकड़ा नहीं गया. जेल से भाग गए और 2 सालों तक बाहर रहे.
Sher Singh Rana Movie
इन्हीं घटनाओं से प्रभावित होकर शेर सिंह राणा के नाम पर एक मूवी भी बनाई जा रही है. इस मूवी में शेर सिंह राणा की भूमिका निभाते हुए विद्युत जामवाल नजर आएंगे.इस मूवी में दिखाया जाएगा कि कैसे चौहान वंश के राजा पृथ्वीराज चौहान के शरीर अंगों को वहां से भारत वापस लाया गया. वहीं विद्युत जामवाल का कहना है कि वह शेर सिंह राणा का किरदार निभाने के लिए काफी उत्साहित है. यह फिल्म इस साल के लास्ट तक रिलीज की जा सकती है. शेर सिंह राणा को पहले एक थिएटर में दिखाया जाएगा, फिर इसे ओटीटिक रिलीज की डेट की घोषणा की जाएगी.
शेर सिंह राणा एक प्रसिद्ध नेता और राजनीतिज्ञ के बारे में एक फिल्म है, यह फिल्म उनकी कहानी कहती है. बहुत से लोग अब उसे पसंद करते हैं क्योंकि 11वीं शताब्दी के अफगानिस्तान में वह चौहान वंश के शासक के अवशेषों को वहां से वापस लाया था. इससे पहले वह तिहाड़ जेल में बंद थे.
Frequently Asked Questions
Question 1) शेर सिंह राणा का रियल नेम क्या है?
Answer : पंकज सिंह पुंडीर.
Question 2) Sher Singh Rana कहाँ के रहने वाले हैँ?
Answer : Roorkee Uttrakhand .
Question 3) Sher Singh Rana क्यों famous है?
Answer : वह Prithviraj Chauhan की अस्थियों को वापिस भारत लाए थे.
Question 4) शेर सिंह राणा के पिता का क्या नाम है?
Answer : सुरेंद्र सिंह.