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नई दिल्ली

प्रोपर्टी की वसीयत को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्णय, अब देना होगा ये सबूत

नई दिल्ली :- सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी वसीयत (Property Will)के एम मामले में गौर करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। उच्च्तम न्यायालय ने यह क्लियर कहा है कि वसीयत के पंजीकरण (Will Registration) से वह वैध नहीं हो जाती, जब तक कि उसे भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 63 और साक्ष्य अधिनियम की धारा 68 की आवश्यकताओं के अनुसार साबित न किया जाए।सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के आने वाले समय में प्रभाव होंगे। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बारे में।

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supreme Court

सुप्रीम कोर्ट वसीयत को लेकर किया क्लियर

सुप्रीम कोर्ट (SC judgement on Will Registration ) के इस फैसले से आने वाले समय में लोगों को कई लाभ प्राप्त होंगे। हाल ही में आए एक केस के वाद का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम फैसला सुनाया है। इस मामले को स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वसीयत को वैध साबित करने के लिए सिर्फ इसका रजिस्‍ट्रेशन(Will Registration ) से ये वैध साबित नहीं होगा।

अब वैध के लिए कम से कम एक विश्‍वसनीय गवाह होना अनिवार्य है। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम (Indian Succession Act)धारा-63 वसीयत के इग्‍जेक्‍युशन से जुड़ी है और धारा-68 डॉक्यूमेंट(Section-68 Document) के इग्‍जेक्‍युशन से जुडी हुई है। वसीयत के रजिस्टर्ड पंजीकरण (Registered Registration of Will) के मामले में कोर्ट ने कहा कि धारा-68 के तहत वसीयत के इग्‍जेक्‍युशन को प्रूफ करने के लिए कम से कम एक गवाह का परीक्षण होना बेहद जरूरी है।

जानिए क्या था मामला

अगर आप भी इस मामले को जानना चाहते हैं तो बता दें कि यह मामला बालासुब्रमणिया तंथिरियार जो कि वसीयतकर्ता है के द्वारा संपत्ति के विभाजन (Division of property) से जुड़ा हुआ था। इस मामले में बताया गया कि वसीयतकर्ता ने एक वसीयत (Registration of Will)के माध्‍यम से अपनी पूरी संपत्ति को चार भागों में बांटा था। विवाद का मुख्य कारण वसीयत की वैधता थी। वसीयतकर्ता ने अपनी प्रोपर्टी के तीन हिस्से पहली पत्नी और उसके बच्चों को दिए थें।

उच्च न्यायालय ने कहा

इस मामले में निचली अदालत और उच्च न्यायालय (High Court on property will)ने प्रोपर्टी पर वसीयत के आधार पर अपीलकर्ताओं के दावे को खारिज कर दिया था और वसीयत को संदिग्‍ध माना था, लेकिन यह मामला शांत नहीं हुआ और सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Judgements)का भी यही कहना कि वसीयत की वैधता और प्रामाणिकता को लेकर सबूत पूरे नहीं है। अदालत ने इस मामले के बारे में विवरण दिया कि अपीलकर्ता यह साबित करने में नाकाम रहे कि वसीयतकर्ता ने वसीयत में जो कुछ लिखा है, उसे समझने के बाद ही वसीयत को निष्पादित घोषित किया गया था।सुप्रीम कोर्ट ने वसीयत को संदिग्‍ध बताया।

Author Deepika Bhardwaj

नमस्कार मेरा नाम दीपिका भारद्वाज है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर कंटेंट राइटर के रूप में काम कर रही हूं. मैंने कॉमर्स में मास्टर डिग्री की है. मेरा उद्देश्य है कि हरियाणा की प्रत्येक न्यूज़ आप लोगों तक जल्द से जल्द पहुंच जाए. मैं हमेशा प्रयास करती हूं कि खबर को सरल शब्दों में लिखूँ ताकि पाठकों को इसे समझने में कोई भी परेशानी न हो और उन्हें पूरी जानकारी प्राप्त हो. विशेषकर मैं जॉब से संबंधित खबरें आप लोगों तक पहुंचाती हूँ जिससे रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं.

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