History of Tea: आज से 5000 साल पहले गलती से हुई थी चाय की खोज, जानें चाय के भारत तक पहुंचने का पूरा इतिहास
नई दिल्ली, International Tea Day 2023 :- चाय हमारी Daily Routine का एक अहम हिस्सा है. हर किसी के दिन की शुरुआत चाय की प्याली के साथ होती है. जब तक चाय का कप ना मिले नींद ही नहीं खुलती है. चाय लोगों के जीवन में इतनी जरूरी बन चुकी है कि यदि उन्हें समय से चाय न मिले, तो कोई भी काम करने का मन नहीं करता. गर्मी हो या सर्दी चाय के शौकीन हर मौसम में इसका मजा लेना चाहते हैं. भारत में भी चाय को खूब पसंद किया जाता है.
5000 साल पुराना है चाय का इतिहास
भारत में इस कदर चाय की छाई दीवानगी को देखकर सबको लगता है कि चाय का इतिहास भारत से ही संबंधित है. लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है. आपको बता दें कि आज इंटरनेशनल T डे है तो आइये आपको इस मौके पर चाय के दिलचस्प History के बारे में जानकारी देते है. बहुत कम लोगों को पता होगा कि चाय का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है. चाय का इतिहास चीन से संबंधित है.
चीन के एक राजा ने की थी चाय की खोज
क्या आप जानते हैं चाय की शुरुआत दरअसल गलती से हुई थी. ऐसा माना जाता है कि 2732 बीसी में चीन के शासक शेंग नुंग ने गलती से चाय की खोज कर दी थी. दरअसल, एक बार राजा के उबलते पानी में कुछ जंगली पत्तियां आ गिरी, जिसके बाद अचानक पानी की रंग बदलने लगा और पानी से बेहतरीन खुशबू आने लगी. जब राजा ने इस पानी को पिया तो उन्हें यह पीने में काफ़ी अच्छा लगा. इसके साथ ही इसे पीने पर उन्हें ताजगी और Energy महसूस हुई. इस तरह गलती से चाय की शुरुआत हुई, जिसे राजा ने चा.आ नाम दिया था.
भारत में अंग्रेज लाए थे चाय
ज़ब अंग्रेज बिट्रेन से आए तो वे अपने साथ चाय भी लाये. आपने कई बार यह कहावत सुनी होगी कि अंग्रेज तो चले गए, मगर अंग्रेजी यहीं छोड़ गए. हालांकि, अंग्रेजी के अलावा वह चाय भी छोड़ के गए है. यदि भारत में चाय के इतिहास के बारे में बताये तो देश में चाय की शुरुआत की कहानी काफी रुचिकर है. वर्ष 1834 में जब गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक भारत पहुँचे ,तो उन्होंने देखा कि असम में कुछ लोग चाय की पत्तियों को उबालकर दवाई के जैसे पी रहे थे.
चाय के व्यापार से अंग्रेज कमाते थे मोटा पैसा
इसके बाद बैंटिक ने असम के लोगों को चाय के बारे में बताया और इस प्रकार भारत में चाय की शुरुआत हुई. इसके बाद साल 1835 में असम में चाय के बागान लगाए गए और फिर 1881 में इंडियन टी एसोसिएशन स्थापित किया गया. इससे भारत ही नहीं, बल्कि International Market में भी चाय के Production का विस्तार किया गया. भारत में उगने वाली यह चाय अंग्रेजों की कमाई का एक अच्छा साधन बन चुकी थी. वह भारत में उगाई गई चाय को विदेशों में भेजकर मोटा पैसा कमाते थे.