Fastag के नए नियम से चालकों मे भगदड का माहौल, अब इतने दिन यूज ना करने पर लगेगा जुर्माना
नई दिल्ली :- अगर आप हाईवे पर सफर करते हैं तो यह खबर आपके लिए अहम है. केंद्र सरकार लंबे वक्त से हाइवे पर प्रीपेड FASTag के इस्तेमाल को प्रमोट कर रही है. गाड़ी पर FASTag नहीं होने पर दोगुनी रकम वसूली जाती है. इसे लेकर एक जनहित याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट में भी आई. इस याचिका में कहा गया कि जो लोग ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं, वो फास्टैग कैसे इस्तेमाल करेंगे. ऐसे में टोल पर कम से कम एक बूथ बिना फास्टैग वाला भी होना चाहिए. इसे लोगों के मौलिक अधिकार का हनन बताते हुए याचिका लगाई गई थी. इसपर अहम फैसला देते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने साफ कर दिया कि लोगों को हर हाल में अपने वाहनों पर फास्टैग लगवाना ही होगा. नहीं होने पर दोगुनी रकम वसूले जाने की सरकार की पॉलिसी सही है. इसमें मौलिक अधिकार का हनन होने की कोई बात नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश आलोक आराध्ये और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की बेंच ने गुरुवार को कहा कि फास्टैग की शुरुआत एक नीतिगत निर्णय है जिसका उद्देश्य कुशल और सुगम सड़क यात्रा प्रदान करना है. 2014 में शुरू की गई फास्टैग प्रणाली बनी रहेगी. कोर्ट ने माना कि नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी NHAI द्वारा लागू किए जा रहे केंद्र के नीतिगत फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई न्यायिक औचित्य नहीं है. पुणे के अर्जुन खानपुरे की जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया. इस याचिका में फरवरी 2021 के NHAI के उन सर्कुलर को चुनौती दी गई थी, जिनमें कहा गया था कि फास्टैग के बिना वाहनों से दोगुना टोल शुल्क देना होगा.
क्या की गई थी मांग?
नकद भुगतान की अनुमति देने के लिए कम से कम एक लेन को हाइब्रिड रखने का आग्रह किया था. तर्क दिया कि उचित बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण फास्टैग का कार्यान्वयन विफल रहा है, जिससे यात्रियों को कठिनाई हो रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग हो सकते हैं जिन्हें अभी तक तकनीक की आदत नहीं है, और उनसे दोगुना टोल शुल्क लेना मनमाना, अवैध है और उनके स्वतंत्र रूप से घूमने के मौलिक अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
दोगुनी राशि जुर्माना नहीं
हाईकोर्ट ने कहा कि जनता को बदलाव अपनाने के लिए पर्याप्त समय देने के बाद ही फास्टैग को अनिवार्य किया गया है. साथ ही, यह “गलतफहमी” है कि फास्टैग से लैस नहीं होने पर वाहन से वसूली गई राशि जुर्माना है. राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियमों में यह प्रावधान है कि फास्टैग लेन में प्रवेश करने वाले ऐसे वाहनों को दोगुना शुल्क देना होगा. फास्टैग के अनिवार्य उपयोग से नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने के तर्क को खारिज करते हुए, न्यायाधीशों ने कहा कि फास्टैग से लैस नहीं होने पर वाहन को टोल प्लाजा से पार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, यह एक “गलत धारणा” है.
Fast Tag तुरंत होता है रिचार्जिंग
हाईकोर्ट ने कहा कि तत्काल रिचार्जिंग के कई विकल्पों के साथ फास्टैग को उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया गया है. यह समझना मुश्किल है कि भारत में जनता फास्टैग को संभालने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित नहीं है. वर्तमान में इस देश में शायद ही कोई व्यक्ति हो, खासकर मुंबई और पुणे जैसे शहरों में, जो मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करता हो. यह अपेक्षा नहीं है कि व्यक्ति को फास्टैग के उपयोग के लिए पूरी तरह से तकनीक-प्रेमी होना चाहिए क्योंकि यह एक सरल प्रक्रिया है, जिसे ऑफ़लाइन भी किया जा सकता है.