भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है हरियाणा के ये दो जिले, पड़ सकते है लेने के देने
रोहतक :- तुर्किये-सीरिया के साथ पांच से अधिक देशों में आए भूकंप ने पूरी दुनिया को हिला दिया है. देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बार-बार आ रहे भूकंप से लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है. पर्यावरण विशेषज्ञ इसे ग्लोबल वार्मिंग की Warning बता रहे हैं. लगातार आ रहे भूकंप के कारण बहुमंजिला भवनाें में रहने वाले लोगों में भय बना हुआ है.
भूकंप से हुई नए साल की शुरुआत
रोहतक जिला सिस्मिक Orange जोन और झज्जर जिला सिस्मिक Yellow जोन की Category में शामिल है. झज्जर में नया साल भूकंप के साथ शुरू हुआ था. झज्जर जिले में रात लगभग 1.19 बजे धरती हिलने का आभास हुआ. जमीन से केवल पांच किलोमीटर नीचे हलचल Record की गई, जिस कारण काफी लोगों को भूकंप के जोरदार झटके महसूस हुए. रोहतक-झज्जर से गुजर रही महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन के पास अक्सर भूकंप आते रहते हैं. इन पर राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र की नजर भी बनी हुई है.
भूकंप की वजह
देहरादून से महेंद्रगढ़ तक जमीन के नीचे एक Fault लाइन है. इसमें अनगिनत दरारें हैं. इन दिनों इन दरारों में Activity होती रहती है. इसके तहत Plate Movement करती हैं. जब यह प्लेट आपस में टकराती है तो हल्का सा कंपन पैदा होता है. इसी कंपन के कारण भूकंप के झटके महसूस होते है.
भारत में है कुल चार भूकंप जोन
भूकंपीय जोनिंग Map के मुताबिक रोहतक-झज्जर जोन चार और जोन तीन में आते है. भारत में भूकंप को चार जोन में वितरित किया गया है, जिसमें जोन दो, तीन, चार और पांच शामिल हैं. खतरों के हिसाब से इन Zones को बांटा गया है. जोन दो में सबसे कम खतरा और जोन पांच में सबसे ज्यादा खतरा है. मैप में जोन दो को आसमानी रंग, जोन तीन को पीला रंग, जोन चार को संतरी रंग और जोन पांच को लाल रंग से प्रदर्शित किया गया है. इसमें रोहतक जिले का दिल्ली Side का क्षेत्र जोन चार व हिसार साइड का क्षेत्र जोन तीन में आता है.
नए साल पर आया था भूकंप
New Year पर हरियाणा में रात 1:19 बजे भूकंप का आभास हुआ था. झज्जर का बेरी भूकंप का केंद्र था और इसकी तीव्रता 3.8 थी. भूकंप की तीव्रता ज्यादा नहीं थी जिस कारण जान मान का कोई नुकसान नहीं हुआ.
यह रहते हैं भूकंप के केंद्र
जोन-एक
पश्चिमी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के हिस्से आते हैं. यहां भूकंप का सबसे कम खतरा है.
जोन-दो
इसमें तमिलनाडु, राजस्थान और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा शामिल है. यहां भूकंप की आशंका रहती है.
जोन-तीन
केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा जॉन 3 में आता है. इस जोन में भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं.
जोन-चार
मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े नगर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र और बिहार-नेपाल सीमा के क्षेत्र शामिल हैं. यहां भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है और थोड़े थोड़े वक्त के बाद Earthquake देखने को मिलते है.
जोन-पांच
भूकंप के लिहाज से ये ऐसा क्षेत्र है जहां भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा होता है. इसमें गुजरात का कच्छ इलाका, उत्तरांचल का एक हिस्सा और पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्य आते हैं.
Reactor स्केल पर इस प्रकार होती है तीव्रता
- रिएक्टर स्केल के मुताबिक 2.0 की तीव्रता से कम वाले भूकंपीय झटकों की संख्या रोजाना लगभग आठ हजार होती है, जिनके बारे में लोगों को पता नहीं चलता.
- 2.0 से लेकर 2.9 की तीव्रता वाले लगभग एक हजार झटके रोजाना दर्ज किए जाते हैं, लेकिन आम तौर पर इन्हें भी महसूस नहीं किया जाता.
- रिएक्टर स्केल पर 3.0 से लेकर 3.9 की तीव्रता वाले भूकंपीय झटके साल में लगभग 49 हजार बार दर्ज किए जाते हैं, जो अक्सर महसूस नहीं होते, लेकिन कभी-कभी इनकी वजह से थोड़ा बहुत नुकसान हो जाता है.
- 4.0 से 4.9 की तीव्रता वाले भूकंप साल में लगभग 6200 बार दर्ज होते हैं. इस Velocity वाले भूकंप से कंपन महसूस होती है और कई बार हानि भी हो जाती है.
- 5.0 से 5.9 तक का भूकंप एक छोटे क्षेत्र में स्थित कमजोर मकानों को बहुत नुकसान पहुंचाता है, जो साल में लगभग 800 बार Feel किये जाते है.
- 6.0 से 6.9 तक की तीव्रता वाला भूकंप साल में लगभग 120 बार दर्ज किया जाता है और यह 160 किलोमीटर तक की सीमा में काफी खतरनाक हो सकता है.
- 7.0 से लेकर 7.9 तक की तीव्रता का भूकंप एक बड़े क्षेत्र में भारी कहर मचा सकता है और जो एक साल में लगभग 18 बार Record होता है.
- रिएक्टर स्केल पर 8.0 से लेकर 8.9 तक की तीव्रता वाला भूकंपीय झटका सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भयंकर तबाही मचा सकता है, जो साल में एक आधी बार ही महसूस होता है.
- 9.0 से लेकर 9.9 तक के पैमाने का भूकंप हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही मचा सकता है, जो 20 साल में लगभग एक बार दिखता है.