जल्द नीलाम होने जा रहा है यह सरकारी बैंक, LIC और बैंक ग्राहकों के लिए बुरी खबर
नई दिल्ली: आईडीबीआई बैंक के विनिवेश की प्रक्रिया अब रफ्तार पकड़ रही है। सरकार ने इसके डेटा रूम से जुड़ी सभी समस्याओं को सुलझा लिया है। इससे इस बैंक के प्राइवेटाइजेशन के अगला चरण का रास्ता साफ हो गया है। जांच-परख का काम लगभग पूरा हो चुका है और सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही इसके लिए फाइनेंशियल बिड्स आमंत्रित की जाएंगी। बिजनस टुडे टीवी ने अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है। डेटा रूम से जुड़े सभी मुद्दों का समाधान हो गया है। जल्द ही वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जाएंगी। डेटा रूम एक ऐसी जगह होती है जहां कंपनी की सारी वित्तीय जानकारी रखी जाती है। संभावित खरीदार इस जानकारी को देखकर कंपनी की वैल्यूएशन करते हैं और अपनी बोली लगाते हैं। अधिकारियों की मानें तो डेटा रूम की समस्याओं का समाधान होने का मतलब है कि सौदा अपने अंतिम चरण में है।
किसकी कितनी हिस्सेदारी
अधिकारी ने आगे कहा कि कोई बड़ी समस्या नहीं थी, बस संभावित बोलीदाताओं ने डेटा रूम के बारे में कुछ सवाल पूछे थे, जिनका अब समाधान हो गया है। आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया जनवरी 2023 से चल रही है। तब केंद्र सरकार ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी किया था। सरकार और LIC मिलकर बैंक में अपनी 61% हिस्सेदारी बेचना चाहते हैं। इसमें केंद्र की 30.48% और LIC की 30.24% हिस्सेदारी शामिल है।
सरकार को DIPAM से कुल 68,263 करोड़ रुपये मिल हैं
एयर इंडिया की बिक्री के बाद यह सबसे बड़ा निजीकरण इनिशिएटिव होगा। हालांकि यह साफ नहीं है कि इस बिक्री से सरकार को कितना पैसा मिलेगा। पिछले साल हुए आम चुनावों के बाद सरकार ने विनिवेश के लक्ष्य निर्धारित करना बंद कर दिया है। अब सरकार नॉन-टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वित्त वर्ष 2025 में सरकार को DIPAM से कुल 68,263 करोड़ रुपये मिल हैं जिसमें विनिवेश से प्राप्त 8,625 करोड़ रुपये शामिल हैं। वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में विनिवेश और एसेट मॉनेटाइजेशन से 47,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है।