नई दिल्ली :- लोक अदालत को आप गांव की पंचायत का मॉर्डन स्वरूप मान सकते हैं.देश में लोक अदालत समय-समय पर लगती है, जिसमें लोगों के ट्रैफिक चालान समेत कई तरह के मामलों का निपटारा कर दिया जाता है.

ऐसे माफ करा सकते हैं ट्रैफिक चालान
ट्रैफिक के नियमों का पालन नहीं करने पर ट्रैफिक चालान कटेगा ही. कई बार चालान की रकम बहुत ज्यादा होती है.अगर आपका कभी ट्रैफिक चालान कटा है या आपके ऊपर कोई ट्रैफिक नियम तोड़ने को लेकर जुर्माना लगा है, तो आप इसे माफ भी करवा सकते हैं.
पंचायत का मॉर्डन स्वरूप है लोक अदालत
आपने‘लोक अदालत’ का नाम जरूर सुना होगा. लोक अदालत को आप गांव की पंचायत का मॉर्डन स्वरूप मान सकते हैं.देश में लोक अदालत समय-समय पर लगती है, जिसमें लोगों के ट्रैफिक चालान समेत कई तरह के मामलों का निपटारा कर दिया जाता है. इसमें न तो कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाना पड़ता है. न वकील की महंगी फीस देनी पड़ती है. कई बार तो चालान की रकम कम कर दी जाती है और कई बार तो इसे माफ भी कर दिया जाता है.
आपसी सुलह से निपटाया जाता है मामला
लोक अदालत में दो पक्षों के बीच किसी तरह के विवाद को बातचीत और आपसी सुलह से निपटाया जाता है. भारत में ऐसे अदालत की शुरुआत न्याय व्यवस्था के बोझ को कम करने के मकसद से की गई है.
दिल्ली में कहां लगती हैं लोक अदालतें?
ये लोक अदालतें दिल्ली के द्वारका कोर्ट, कड़कड़डूमा कोर्ट, पटियाला हाउस कोर्ट, रोहिणी कोर्ट, राउज एवेन्यू कोर्ट, साकेत कोर्ट और तीस हजारी कोर्ट में चलाए जाते हैं.