1 अप्रैल से आ रहा है इनकम टैक्स का ये नया नियम, अब कहीं भी चेकिंग कर सकेंगे इनकम टैक्स अधिकारी
नई दिल्ली :- भारत में आयकर के नियमों में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, जिसके तहत Income Tax Bill 2025 को लागू किया जाएगा। यह नया बिल आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा और इसका उद्देश्य आयकर के नियमों को सरल और पारदर्शी बनाना है। इस बिल के माध्यम से आयकर की जटिलताओं को कम करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे व्यक्तियों और व्यवसायों को लाभ होगा। इस बिल के लागू होने से आयकर अधिकारियों को भी अधिक शक्तियाँ मिलेंगी, जिससे वे Digital Spaces में भी जांच कर सकेंगे।
इस नए बिल के तहत आयकर अधिकारी अब Emails, Social Media, और Online Financial Platforms तक पहुँच सकते हैं, जिससे कर चोरी को रोकने में मदद मिलेगी। यह बदलाव 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा और इसका उद्देश्य कर प्रणाली को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाना है। इस लेख में, हम इस नए आयकर बिल के मुख्य बिंदुओं और इसके प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
नीचे दी गई तालिका में Income Tax Bill 2025 के मुख्य बिंदुओं का विवरण दिया गया है:
विशेषता | विवरण |
लागू होने की तिथि | 1 अप्रैल, 2026 से |
आयकर अधिनियम की जगह | आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा |
मुख्य उद्देश्य | आयकर नियमों को सरल और पारदर्शी बनाना |
नया टैक्स वर्ष | Tax Year की अवधारणा को पेश किया गया है |
प्रेसम्प्टिव टैक्सेशन | छोटे व्यवसायों और पेशेवरों के लिए सरलीकृत |
डिजिटल स्पेसेस में पहुँच | आयकर अधिकारियों को Emails और Social Media तक पहुँच की अनुमति |
कर स्लैब | New Tax Regime के तहत कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं |
इस नए बिल के तहत आयकर अधिकारी अब Digital Spaces में भी जांच कर सकेंगे। यदि कोई व्यक्ति कर चोरी का संदेह होता है, तो अधिकारी Emails, Social Media, और Online Financial Platforms तक पहुँच सकते हैं। यह बदलाव कर प्रणाली को अधिक कुशल बनाने में मदद करेगा, लेकिन यह Privacy के मुद्दे को भी उठाता है। Presumptive Taxation Scheme के तहत छोटे व्यवसायों और पेशेवरों के लिए करों का भुगतान सरल हो गया है। इस योजना के तहत व्यवसायों को अपने लाभ का केवल एक निश्चित प्रतिशत ही घोषित करना होता है, जिससे उनके लिए करों का भुगतान आसान हो जाता है। यह योजना उन व्यवसायों के लिए है जिनका कुल टर्नओवर 20 मिलियन रुपये से अधिक नहीं है और जो नकद लेनदेन में 5% से अधिक नहीं करते हैं।
New Tax Regime के तहत कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह स्लैब निम्नलिखित हैं:
- 0 से 4 लाख रुपये: कोई कर नहीं
- 4 लाख से 8 लाख रुपये: 5%
- 8 लाख से 12 लाख रुपये: 10%
- 12 लाख से 16 लाख रुपये: 15%
- 16 लाख से 20 लाख रुपये: 20%
- 20 लाख से 24 लाख रुपये: 25%
- 24 लाख रुपये से अधिक: 30%
यह स्लैब Union Budget 2025 के अनुसार हैं और इनका उद्देश्य करदाताओं को राहत प्रदान करना है।
नए आयकर बिल में Taxpayer’s Charter की अवधारणा को शामिल किया गया है, जो करदाताओं के अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट करता है। इस चार्टर का उद्देश्य करदाताओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना और उन्हें कर प्रणाली में अधिक सहज महसूस कराना है।
- स्पष्ट और पारदर्शी कर नियम: करदाताओं को स्पष्ट और पारदर्शी कर नियमों के अनुसार अपने करों का भुगतान करने का अधिकार है।
- करदाता चार्टर: करदाताओं के अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट करने के लिए एक चार्टर।
- डिजिटल सेवाएँ: करदाताओं को ऑनलाइन कर सेवाओं का लाभ उठाने का अधिकार है।
- करों का समय पर भुगतान: करदाताओं का दायित्व है कि वे अपने करों का समय पर भुगतान करें।
- सही जानकारी प्रदान करना: करदाताओं को अपनी आय और अन्य वित्तीय जानकारी सही ढंग से प्रदान करनी होती है।
- कर नियमों का पालन: करदाताओं को कर नियमों का पालन करना होता है और किसी भी तरह की कर चोरी से बचना होता है।
नए आयकर बिल के माध्यम से भारत की कर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है। यह बिल न केवल कर नियमों को सरल बनाता है, बल्कि करदाताओं के लिए भी अधिक पारदर्शी और सहज बनाता है। हालांकि, Digital Spaces में आयकर अधिकारियों की पहुँच के कारण Privacy के मुद्दे भी उठ रहे हैं। इस बिल के लागू होने से कर प्रणाली में अधिक कुशलता और पारदर्शिता आएगी, जो देश की आर्थिक वृद्धि के लिए भी फायदेमंद होगी।