RBI के इस नए फरमान से आम जनता मे मचा हड़कंप, अब ये बैंक अकाउंट होंगे बंद
नई दिल्ली :- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 1 जनवरी 2025 से कुछ नए नियम लागू किए हैं। इन नियमों का मकसद है बैंकिंग प्रणाली को और भी सुरक्षित बनाना, धोखाधड़ी को कम करना और लेन-देन को और भी आसान बनाना। इन नए नियमों के तहत, कुछ खास तरह के बैंक खाते बंद किए जा सकते हैं। इसलिए, यह जानना जरूरी है कि ये नियम आपके खाते को कैसे प्रभावित कर सकते हैं और आपको क्या कदम उठाने चाहिए।
ये नए नियम उन लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिनके बैंक खाते निष्क्रिय हैं या जिनमें कोई लेन-देन नहीं हो रहा है। साथ ही, यह उन खातों पर भी लागू होते हैं जिनमें बैलेंस शून्य है। आरबीआई का लक्ष्य है कि बैंकों का कामकाज और भी बेहतर हो और ग्राहकों को सुरक्षित माहौल मिल सके। इसलिए, अगर आपका भी कोई ऐसा खाता है जिसका आप इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, तो आपको तुरंत जांच करनी चाहिए और जरूरी कदम उठाने चाहिए।
पहलू | विवरण |
आरबीआई (RBI) | भारत का केंद्रीय बैंक, जो बैंकिंग सिस्टम को नियंत्रित करता है। |
नए नियम | आरबीआई द्वारा 1 जनवरी 2025 से लागू किए गए नए दिशानिर्देश। |
बैंक खाता | वह खाता जो किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा बैंक में खोला जाता है। |
गलती | नियमों का उल्लंघन या खाते में अनियमितता। |
पैसा जब्त | खाते में जमा धन को आरबीआई के नियमों के अनुसार रोका या निकाला जा सकता है। |
नियम लागू | 1 जनवरी 2025 से प्रभावी। |
मुख्य उद्देश्य | धोखाधड़ी को रोकना, सुरक्षा बढ़ाना और बैंकिंग सिस्टम को सुव्यवस्थित करना। |
प्रभावित खाते | निष्क्रिय खाते, शून्य बैलेंस खाते, और वे खाते जिनमें केवाईसी (KYC) अनुपालन पूरा नहीं है। |
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 1 जनवरी 2025 से कुछ नए नियम लागू किए हैं, जिनका मकसद है बैंकिंग प्रणाली को और भी सुरक्षित और कुशल बनाना। इन नियमों के तहत, कुछ खास तरह के बैंक खाते बंद किए जा सकते हैं। इसलिए, यह जानना जरूरी है कि ये नियम आपके खाते को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
- परिभाषा: वे खाते जिनमें दो साल या उससे ज़्यादा समय से कोई लेन-देन नहीं हुआ है, उन्हें निष्क्रिय खाते माना जाता है।
- कारण: इन खातों में धोखाधड़ी का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि हैकर्स (hackers) और धोखेबाज (fraudulent individuals) ऐसे खातों को निशाना बना सकते हैं।
- नियम: आरबीआई ने ऐसे खातों को बंद करने का फैसला किया है ताकि ग्राहकों और बैंकिंग सिस्टम को सुरक्षित रखा जा सके।
- उपाय: अगर आपका खाता निष्क्रिय है, तो उसे तुरंत सक्रिय कराएं। इसके लिए आपको बैंक में जाकर लेन-देन करना होगा या केवाईसी (KYC) अपडेट (update) करानी होगी।
- परिभाषा: वे खाते जिनमें 12 महीने या उससे ज़्यादा समय से कोई लेन-देन नहीं हुआ है, उन्हें निष्क्रिय खाते माना जाता है।
- कारण: इन खातों से बैंकों का कामकाज बढ़ जाता है, और ऑनलाइन धोखाधड़ी (online fraud) का खतरा भी रहता है।
- नियम: आरबीआई इन खातों को बंद करके बैंकों के कामकाज को आसान बनाना चाहता है और धोखाधड़ी के खतरे को कम करना चाहता है।
- उपाय: अगर आपका खाता निष्क्रिय है, तो बैंक शाखा (bank branch) में जाकर उसे फिर से सक्रिय कराएं।
- परिभाषा: वे खाते जिनमें लंबे समय से कोई बैलेंस नहीं है, यानी शून्य बैलेंस है, उन्हें भी बंद किया जा सकता है।
- कारण: इन खातों का गलत इस्तेमाल (misuse) हो सकता है और केवाईसी (KYC) के नियमों का पालन नहीं हो पाता।
- नियम: आरबीआई इन खातों को बंद करके केवाईसी (KYC) के नियमों का पालन सुनिश्चित करना चाहता है।
- उपाय: अगर आपके पास ऐसा कोई खाता है, तो उसमें कुछ पैसे जमा करें या उसे बंद करा दें।
आरबीआई ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFCs) के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के नियमों में भी बदलाव किए हैं। ये नियम 1 जनवरी 2025 से लागू हो गए हैं।
- छोटे डिपॉजिट (Small Deposits): ₹10,000 से कम के डिपॉजिट को तीन महीने के अंदर निकालने पर ब्याज नहीं मिलेगा।
- गंभीर बीमारी (Critical Illness): गंभीर बीमारी के लिए पूरा डिपॉजिट निकालने पर भी ब्याज नहीं मिलेगा, अगर तीन महीने के अंदर निकाला जाए।
- अन्य सार्वजनिक डिपॉजिट (Other Public Deposits): व्यक्तिगत जमाकर्ता (individual depositors) ₹5 लाख तक का 50% डिपॉजिट तीन महीने के अंदर निकाल सकते हैं, लेकिन उन्हें ब्याज नहीं मिलेगा।
- आपातकालीन लागत (Emergent Cost): इसमें प्राकृतिक आपदाओं (natural disasters) और सरकार द्वारा घोषित आपदाओं (calamities) के कारण होने वाली चिकित्सा आपात स्थिति (medical emergencies) शामिल हैं।
- परिपक्वता विवरण (Maturity details): एनबीएफसी (NBFCs) को डिपॉजिट की परिपक्वता (maturity) की जानकारी 14 दिन पहले देनी होगी, जबकि पहले यह समय 2 महीने था।