नई दिल्ली

रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाला ये तेल बढ़ाता है हार्ट अटैक का खतरा, आज ही फेंके घर के बाहर

नई दिल्ली :- आजकल हार्ट अटैक के मामलों में बढ़त देखने को मिल रही है. कम उम्र के लोगों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है. हार्ट अटैक को हमेशा कोलेस्ट्रॉल लेवल से जोड़कर देखा जाता है. इसलिए एनडीटीवी ने बात की जाने-माने कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. नरेश त्रेहान (Dr. Naresh Trehan) से और उनसे कोलेस्ट्रॉल संबंधी कई बातें पूछी, साथ ही ये भी जाना कि कौन सा तेल सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद है.

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कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए है जरूरी

डॉक्टर त्रेहान ने कहा कि कोलेस्ट्रॉल बॉडी का एसेंशियल पार्ट होता है. हमारी बॉडी खुद कोलेस्ट्रॉल बनाती है. कोलेस्ट्रॉल बुरा नहीं होता ज्यादा लेवल में इसका होना खराब होता है. पहले हम बाहर से कंज्यूम करने वाले फैट को कोलेस्ट्रॉल के लिए ब्लेम करते थे अब पता चला है कि यह हमारे शरीर की कोलेस्ट्रॉल को हैंडल करने की क्षमता पर निर्भर करता है. उन्होंने समझाया कि कोलेस्ट्रॉल लेवल बहुत हाई नहीं है, तो कोई दिक्कत नहीं है. आपकी बॉडी खुद कोलेस्ट्रॉल बनाती है और उसे कंज्यूम करती है. कोलेस्ट्रॉल को मेंटेन रखने के लिए आप डाइट में बदलाव कर सकते हैं. जैसे कि येलो बटर की जगह व्हाइट बटर यूज करें, ये ज्यादा अच्छा होता है. क्योंकि यह प्रोसेस्ड नहीं होता.

शरीर के लिए ऑयल भी जरूरी-

डॉक्टर त्रेहान ने कहा कि बॉडी के लिए ऑयल भी जरूरी है, लेकिन हाइड्रोजेनेटेड ऑयल जिसको वनस्पति घी कहते हैं वो शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है. क्योंकि यह आर्टरी क्लॉगिंग की वजह बनता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आर्टरी क्लॉगिंग (Artery Clogging) यानी धमनी में रुकावट का मतलब है धमनियों के अंदर प्लेक (plaque) का जमा होना, जिससे ब्लड का फ्लो कम हो जाता है. यह एक गंभीर समस्या है, जो दिल का दौरा या स्ट्रोक की वजह बन सकती है. उन्होंने साथ में ये भी बताया कि लिक्विड फैट सॉलिड फैट से बेहतर होता है. क्योंकि लिक्विड में मोनोसैचुरेटेड फैट होता है और सॉलिड में पॉलीसैचुरेटेड फैट होता है.

मेडिटेरियन डाइट से हार्ट अटैक का रिस्क होता है कम

डॉ नरेश त्रेहान ने कहा जो लोग मेडिटेरेनियन डाइट खाते हैं, उनको सबसे कम हार्ट अटैक होते हैं. दरअसल मेडिटेरेनियन खाने में ऑलिव ऑयल यूज होता है, इसलिए यह माना जाता है कि यह ऑयल हेल्थ के लिए बेस्ट (Best Cooking Oil)  है.

हर 6 महीने में बदले खाने का तेल

डॉ त्रेहान ने कहा कि ऑलिव ऑयल काफी महंगा होता है, इसलिए सबके लिए उसे अफोर्ड कर पाना मुमकिन नहीं है. उन्होंने कहा कि मेरी सलाह है कि लोगों को हर 6 महीने में अपना तेल बदल देना चाहिए, चाहें वो सनफ्लावर ऑयल यूज कर रहे हैं, राइस ऑयल या फिर मस्टर्ड ऑयल. उन्होंने कहा कि हर ऑयल में कुछ कमी होती है, उसके अंदर कोई न कोई जहरीला पदार्थ (Poisonous material) होता है.

कश्मीर और बंगाल में सबसे ज्यादा पेसमेकर का रिक्वायरमेंट

डॉ त्रेहान ने बताया कि कश्मीर और बंगाल में पेसमेकर का सबसे ज्यादा रिक्वायरमेंट देखा गया है. ऑब्जरवेशन स्टडी कहती है कि क्योंकि कश्मीर और बंगाल दोनों जगह खाने में मस्टर्ड ऑयल का बहुत इस्तेमाल किया जाता है. सालों साल मस्टर्ड ऑयल खाने से उसके अंदर मौजूद कुछ जहरीले तत्व  हार्ट की नर्व्स को प्रभावित करते हैं. उन्होंने कहा कि इसका कोई डायरेक्ट रिलेशनशिप नहीं है मगर यह एक ऑब्जरवेशन है. अगर आप ऑयल को हर 6 महीने में रोटेट करते हैं, तो इस तरीके से आप उस तेल में मौजूद टॉक्सिक पदार्थ को डिस्कंटीन्यू कर देंगे, जिससे वो आपके शरीर को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा. इसलिए समय-समय पर खाने के तेल को बदलते रहे.

Author Deepika Bhardwaj

नमस्कार मेरा नाम दीपिका भारद्वाज है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर कंटेंट राइटर के रूप में काम कर रही हूं. मैंने कॉमर्स में मास्टर डिग्री की है. मेरा उद्देश्य है कि हरियाणा की प्रत्येक न्यूज़ आप लोगों तक जल्द से जल्द पहुंच जाए. मैं हमेशा प्रयास करती हूं कि खबर को सरल शब्दों में लिखूँ ताकि पाठकों को इसे समझने में कोई भी परेशानी न हो और उन्हें पूरी जानकारी प्राप्त हो. विशेषकर मैं जॉब से संबंधित खबरें आप लोगों तक पहुंचाती हूँ जिससे रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं.

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