500 साल से भी ज्यादा पुराना है ये माता का मंदिर, साधु के सपने में आ खुद मां ने करवाया था निर्माण
लखनऊ :- प्रत्येक राज्य में कोई ना कोई धार्मिक परंपरा से जुड़ा प्राचीन मंदिर अवश्य मिल ही जाता है. उन मंदिरों के पीछे एक पुरानी कथा होती है. ऋषभ चौरसिया/ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी एक ऐसा ही प्राचीन मंदिर है जो 500 वर्ष पुराना है. यह मंदिर भी अपने आप में एक प्राचीन कथा समेटे हुए हैं. यह श्री स्नदोहन देवी का मंदिर है जो लखनऊ की तंग गली चौपटिया में स्थित है. इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं.
9 दिन दिए मां नें दर्शन
मां श्री स्नदोहन देवी को संदेहहरणी देवी के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर समिति के सदस्य प्रेम प्रकाश ने जानकारी देते हुए बताया कि यह Temple 500 वर्ष पुराना है. इस मंदिर में एक बड़ा Garden हुआ करता था, इसी बाग में एक बड़ा सा तालाब भी था. तालाब के आगे एक साधु बाबा की कुटिया होती थी. एक बार नवरात्रि के दिनों में साधु को लगातार 9 दिनों तक मां ने सपने में दर्शन दिए, जिसमें मां ने तालाब के अंदर पिंडी होने की बात बताई.
तालाब में मिली पिंडी
अगले ही दिन सुबह साधु ने सभी साधुओं को यह स्वप्न बताया. सभी साधुओं और क्षेत्रवासी तालाब में पिंडी को ढूंढने लग गए. सभी क्षेत्रवासी और साधु मां की पिंडी ढूंढते ढूंढते थक चुके थे लेकिन वह पिंडी नहीं मिल रही थी. अन्य क्षेत्रवासी तो थक हारकर तालाब से बाहर आ गए लेकिन वह साधु तालाब में पिंडी ढूंढता रहा. अचानक से साधु के हाथ मां की पिंडी लग गई और सभी क्षेत्रवासी मां का जयकारा लगाने लगे.
विधि विधान से पिंडी की स्थापित
साधु के सपने में आकर मां ने जिस पिंडी के बारे में बताया था उसे पाकर सभी क्षेत्रवासी बहुत खुश थे. दशमी तिथि (दशहरा) से अगले ही दिन एकादशी तिथि को माता की पिंडी को विधि विधान के साथ एक चबूतरे पर स्थापित कर दिया गया. इस पिंडी को चबूतरे पर खड़ा किया गया था लेकिन अगली सुबह यह पिंडी चबूतरे पर लेटी हुई मिली. साधु ने इसे सीधी ख़डी करदी परंतु उससे अगले दिन फिर पिंडी लेटी हुई मिली. तब साधुओ ने फैसला किया पिंडी को लेटी रहने दिया जाए.