चना-सरसों की खेती करने वालों की हुई मौज, समर्थन मूल्य से बाजार में ज्यादा मिल रहा है भाव
नई दिल्ली :- वहीं अब रबी की सीजन के बाद सरकार ने समर्थन मूल्य पर सरसों व चना की खरीद शुरू कर दी है, लेकिन स्टॉक रखने की जगह नहीं है। ऐसे में फलोदी क्षेत्र में समर्थन मूल्य पर चना व सरसों की खरीद अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। वजह है कि खरीद केंद्रों के गोदाम मूंगफली के पुराने स्टॉक से अब भी भरे हैं। इससे नए सीजन की फसलों की खरीद और भंडारण व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
जानकारी के अनुसार जिले के दो प्रमुख खरीद केंद्रों पीलवा व पलीना क्षेत्र के किसानों ने अभी तक रजिस्ट्रेशन भी नहीं करवाया है। इससे यह संकेत मिलते हैं कि किसान खुद भी इस बार समर्थन मूल्य पर फसल बेचने में कम रुचि दिखा रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि फिलहाल बाजार में चना और सरसों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक मिल रहे हैं। किसानों को निजी व्यापारियों से बेहतर दाम मिलने पर सरकारी केंद्रों की ओर आकर्षण कम हो गया है। इधर गोदामों की स्थिति भी चिंता का विषय बनी हुई है।
पिछले सीजन में खरीदी गई मूंगफली अब तक गोदामों में रखी है, जिसे न तो नीलाम किया गया है और न ही हटाया गया। इससे नई फसलों के लिए जगह ही नहीं बची है। अगर जल्द गोदाम खाली नहीं हुए, तो समर्थन मूल्य पर खरीद की पूरी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। जिला क्षेत्र में कुल नौ खरीद केन्द्र स्थापित किए गए है, जिसमें से सात केन्द्रों के किसानों ने अभी तक सरसों व चना खरीद केन्द्रों पर लाने के लिए पंजीयन करवाए हैं, लेकिन बाजार मूल्य समर्थन मूल्य से अधिक है। जिस कारण भी समर्थन मूल्य पर सरसों व चना की खरीद शुरू नहीं हो पाई है। जिले के फलोदी, लोहावट, बापिणी व देच, बाप, सांवरीज व आउ क्षेत्र के किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाए है, जबकि पीलवा व पलीना में किसानों ने इस बार दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
फलोदी क्षेत्र में समर्थन मूल्य पर चना की खरीद 5,440 रुपए प्रति क्विंटल और सरसों की 5,950 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है, लेकिन बाजार में चना 5,700 से 5,900 रुपए व सरसों 6,000 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रही है। ऐसे में किसान बेहतर मूल्य मिलने के चलते सरकारी प्रक्रिया से बच रहे हैं, जिसमें विलंब और कागजी प्रक्रिया अधिक होती है। चना व सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन हमारे पास अभी मूंगफली का स्टॉक बहुत अधिक पड़ा है, वहीं बाजार भाव अभी समर्थन मूल्य से अधिक होने से किसान भी नहीं पहुंचे है।