समय से पहले लोन चुकाने वालों की हो गई मौज, RBI देने जा रहा है ये बड़ा गिफ्ट
नई दिल्ली :- अगर आपने भी किसी बैंक से होम लोन या पर्सनल लोन आदि ले रखा है तो यह खबर आपके काम की है. जी हां, रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से कुछ ड्रॉफ्ट गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनमें फ्लोटिंग ब्याज दर वाले लोन पर लगने वाली फोरक्लोजर फीस और प्रीपेमेंट जुर्माने को हटाने का प्रस्ताव दिया गया है. आरबीआई की तरफ से इस पर 21 मार्च, 2025 तक आम लोगों से राय मांगी गई है. जब यह नियम अंतिम रूप लेंगे तो बदले गए नियम को लोन या एडवांस पर लागू किया जाएगा. इसके तहत अंतिम सर्कुलर में बताई गई तारीख के बाद फोरक्लोज किया जाएगा. ये नियम सभी बैंकों और एनबीएफसी पर लागू होंगे.
बिजनेस लोन पर भी किसी तरह का चार्ज नहीं
ड्रॉफ्ट के अनुसार यदि कोई शख्स फ्लोटिंग रेट (बदलती ब्याज दर) वाला लोन लेता है तो उसे लोन को समय से पहले चुकाने या बंद करने पर किसी तरह का चार्ज नहीं देना होगा. हालांकि यह चार्ज बिजनेस लोन पर लिया जाएगा. इसके अलावा पर्सनल और छोटे व्यवसायों (MSE) को दिए गए फ्लोटिंग रेट बिजनेस लोन पर भी किसी तरह का चार्ज नहीं लगेगा, लेकिन कुछ सहकारी बैंकों और एनबीएफसी को इससे छूट दी गई है. यह नियम सभी तरह के फ्लोटिंग रेट वाले लोन पर पर लागू होंगे. चाहे लोन कहीं से भी लिया गया हो और चाहे लोन पूरा चुकाया जाए या थोड़ा.
किसी तरह की टाइम लिमिट नहीं होगी
दूसरे तरह के लोनों पर चार्ज बैंक या वित्तीय संस्थान की पॉलिसी के हिसाब से लगेंगे. बैंक या वित्तीय संस्थान लोन को समय से पहले चुकाने की सुविधा देंगे और इसके लिए कोई कम से कम टाइम लिमिट नहीं होगी. अगर बैंक या वित्तीय संस्थान खुद लोन को बंद करता है, तो किसी प्रकार का चार्ज नहीं लगेगा. नियम यह भी होगा कि लोन लेने वाले को सभी चार्ज बैंक की तरफ से पहले ही बताए जाएंगे. अगर पहले कोई शुल्क माफ किया गया था या बताया नहीं गया था, तो उसे बाद में नहीं लगाया जाएगा.
फ्लोटिंग रेट लोन क्या है?
फ्लोटिंग रेट लोन वो लोन होते हैं जिनमें ब्याज दर बदलती रहती है. ये ब्याज दर आरबीआई (RBI) के रेपो रेट या एमसीएलआर (MCLR) जैसे किसी स्टैंडर्ड पर बदलती है. फिक्स्ड रेट लोन में ब्याज दर लोन की पूरी अवधि के दौरान एक रहती है, लेकिन फ्लोटिंग रेट लोन में आरबीआई की एमपीसी (MPC) के दौरान ब्याज दर के फैसलों के अनुसार ब्याज दर बदलती रहती है. आसान शब्दों में आप यह भी कह सकते हैं कि फिक्स्ड रेट लोन में ब्याज हमेशा एक जैसा रहता है, जबकि फ्लोटिंग रेट लोन में आरबीआई के फैसलों के अनुसार ब्याज घटता-बढ़ता रहता है.