दिल्ली में धौलाकुआं के सामने से रोज गुजरते हैं हजारों लोग, पर आज तक 1% लोगो ने ही देखा
नई दिल्ली :- दिल्ली में एक धौला कुआं है। यह स्थान दिल् ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और तीन राज्यों को जोड़ता है। यह भी एयरपोर्ट जाना है। दैनिक रूप से हजारों लोग यहां से गुजरते हैं, लेकिन इनमें से 99 प्रतिशत ने कभी धौला कुआं नहीं देखा होगा। रोड पर स्थित इस कुएं को बस कुछ कदम चलकर देख सकते हैं। डीडीए का पार्क धौलाकुआं मेट्रो स्टेशन और पेट्रोल पंप के बीच में है। यह पत्थर का पूरा कुआं, यानी पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है, पार्क के अंदर जाने पर बाएं ओर दिखता है।
डीडीए में अंडर है RAKH रखाव
यह डीडीए पार्क में है, इसलिए डीडीए ही इसकी देखरेख करता है। सुरक्षित लिहाज पर जाल लगाया गया है। यहां के सुपरवाइजर सोनू ने कहा कि आज कुआं की गहराई का अनुमान नहीं लगाया जा सका है। पास के गांवों के लोगों का कहना है कि धौला कुआं के आसपास कई निर्माण होने से अब पानी पूरी तरह सूख गया है।
इसलिए पड़ा नाम
लोगों ने कहा कि कुएं की तली पर सफेद पत्थर पड़े थे, जिससे पानी सफेद लगता था। Deshi भाषा में सफेद को धौला या उजला भी कहते हैं। पानी धौला होने के कारण इसका नाम धौला कुआं पड़ा है। कुआं का इतिहास लिखा नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह 300 साल से ज्यादा पुराना है।
1857 का है गवाह
लोगों का कहना है कि यह कुआं 1857 में हुए पहले स्वतंत्रता संग्राम का भी सबूत है। इसी कुएं पर देश को आजाद कराने की शपथ ली गई थी। हजारों सैनिक दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा से इस कुएं में नमक डालकर शपथ ली कि वे अंग्रेजों के सामने झुकेंगे नहीं। उस समय के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को भी 360 गांवों की पंचायत ने कहा कि वे फिर से देश का सुल्तान बनाएंगे।