फौजी बनने का सपना टूटा तो शुरू कर दी इस फसल की खेती, अब हर महीने हो रही है 2 लाख इनकम
नई दिल्ली :- युवा किसान रामबाबू और उनके पिता मुरारी लाल स्वामी पिछले दो दशक से सीकर जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर धोद तहसील के मूंडवाड़ा गांव में तरबूज की खेती कर रहे हैं। रामबाबू स्वामी के पास चालिस बीघा जमीन है, जिसमें वे दस से पंद्रह बीघा में काले ताइवानी और धारी वाले तरबूज की खेती करते हैं, और सिर्फ नव्वद दिनों में छह लाख रुपये की कमाई करते हैं। आधुनिक तरीके से गेहूं और बाजरा जैसी पारंपरिक फसलों को बाकी जमीन पर उगाया जाता है।
प्लास्टिक से ढकते हैं फसल
युवा किसान रामबाबू स्वामी ने बताया कि उन्होंने तरबूज की खेती में आधुनिक तरीके अपनाए हैं। बूंद-बूंद सिंचाई का प्रयोग करते हैं और खरपतवारों को नष्ट करने के लिए धोरों को प्लास्टिक से ढकते हैं। पानी इन्हीं धोरों के बीच पतली पाइप से बहाया जाता है। तरबूज की फसल पानी की बहुत जरूरत है। प्लास्टिक से ढके हुए धोरों में नमी बनी रहती है, जिससे फल को लंबे समय तक पानी मिलता रहता है।
सीकर से की इलेक्ट्रॉनिक में PHD
युवा किसान रामबाबू स्वामी ने सीकर के प्रिंस कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक में पीएचडी की है। उनका कहना था कि वे सैनिक बनना चाहते थे और 2012 में सीआरपीएफ का एग्जाम दिया था। लेकिन कम संख्या के कारण परीक्षा नहीं हुई। फिर उन्होंने राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल की परीक्षा दी, लेकिन सफल नहीं हुई। युवा किसान रामबाबू स्वामी ने सीकर के प्रिंस कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक में पीएचडी की है।
2012 में दिया था CRPF का एग्जाम
उनका कहना था कि वे सैनिक बनना चाहते थे और 2012 में सीआरपीएफ का एग्जाम दिया था। लेकिन कम संख्या के कारण परीक्षा नहीं हुई। फिर उन्होंने राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल की परीक्षा दी, लेकिन सफल नहीं हुई। कई बार कोशिश करने पर भी रामबाबू सेना में जवान नहीं बन पाए, इसलिए वे किसान बनने के लिए सीकर छोड़कर अपने गांव वापस आ गए। बाद में, उन्होंने अपने पिता, मुरारी लाल स्वामी, के साथ मिलकर खेती को आधुनिक बनाने लगे।